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अब कौए लगाएंगे सड़क पर पड़ी सिगरेट ठिकाने, इस प्रोजेक्ट से कौओं को मिलेगा रोजगार

सड़क पर इधर-उधर बिखेरा हुआ कूड़ा-कर्कट. उस कूड़े के ढेर और आसपास पड़ी बुझी- कुचली हुई सिगरेट. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सिगरेट पीने वाले लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. इससे प्रकृति को दुगुनी हानि होती है. एक तो सिगरेट से निकले धुएं से और दूसरा सिगरेट के बचे हुए भाग से. जिसका पूरी तरह पुनचक्रण नहीं हो सकता.


crow

लेकिन सवाल ये उठता है कि सड़क पर बिखरी छोटी-छोटी सिगरेट आखिर जमा कौन करेगा? इसका जवाब मिला पहली क्लास की किताब में.

आपने ‘प्यासा कौआ’ (thirsty crow) कहानी पढ़ी होगी, जिसमें प्यासा कौआ मटके में रखे हुए पानी में कंकड़ डालकर पानी के लेवल को ऊपर ले आता है और अपनी प्यास बुझाकर उड़ जाता है. बस, वैज्ञानिकों को यहीं से ख्याल आया कि कौआ बुद्धिमान होता है और वो वस्तु का आकार, रंग आदि देखकर उसकी पहचान कर सकता है. फिलहाल, नीदरलैंड्स की कंपनी ‘क्राउडेड सिटीज’ एक प्रोजेक्ट लेकर आई है.


crow bar


क्रोबार प्रोजेक्ट से शुरू होगी पर्यावरण सुधारने की मुहिम

दुनिया भर में 4.5 ट्रिलियन सिगरेट के टुकड़े इधर-उधर फेंक दिए जाते हैं. इन टुकड़ों को उठाने का काम करेंगे कौए. दरअसल, नीदरलैंड्स में सड़कों के आसपास क्रोबार नाम से ऐसी मशीन लगाई जाएगी, जिसमें कौओं को सिगरेट के टुकड़े इसमें उठाकर डालने की ट्रेनिंग दी जाएगी. जब भी कौए क्रोबार में सिगरेट के डालेंगे, क्रोबार उसे कुछ खाने के टुकड़े देगा. हालांकि, खाने का सामान देने से पहले मशीन ये भी चेक करेगी कि कौए ने सिगरेट का टुकड़ा ही डाला है या नहीं.



crow bar making


यहां से आया कौओं को ट्रेनिंग का आईडिया

इस स्टार्टअप के मालिक रुबेन वनडेर व्लुतेन और बॉब स्पाइकमैन एक बार एक जोशुआ क्लीन नाम के आदमी से मिले. जोशुआ कौओं को सिक्के बटोरने की ट्रेनिंग देते थे. बस यहीं से इन दोनों को ख्याल आया अपने स्टार्टअप के लिए. उन्होंने सिगरेट उठाने के लिए कौओं को ट्रेनिंग देने के बारे में सोचा. फिलहाल स्टार्टअप के लिए क्रोबार तैयार कर लिया गया है. अब तक के रिसर्च के नतीजे भी अच्छे रहे हैं और आगे उम्मीद की जा रही है कि प्रोजेक्ट कामयाब हो गया, तो दुनिया भर में क्रोबार मशीनें बनाकर बेची जाएंगी.

सोचिए, अगर ये आइडिया काम कर गया, तो भारत में ये मशीनें ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का एक अहम हिस्सा बन सकता है. साथ ही कौए को भी मेहनत करके ही कुछ खाने को मिलेगा यानि कौए को भी अब रोजगार मिलेगा..Next

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