2012 में निर्भया गैंग रेप के चारों दोषियों को दिल्ली कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है। इसके अलावा भी कोर्ट ने कई चीजें तय की हैं। आईए जानते हैं कि मृत्यु दंड के दोषी को किस तरह और कैसे फांसी देने का नियम है और कैसे इस प्रकिया को पूरा किया जाता है।
दोषी को सुबह 5 बजे उठाकर नहलाया जाता है
कोर्ट से मृत्य दंड की डेट और टाइम तय होने के बाद दोषियों को अन्य कैदियों से अलग सेल में रखा जाता है। जेल सूत्रों के अनुसार फांसी वाले दिन दोषी को सुबह 5 बजे उठा दिया जाता है। नहलाने के बाद उसे फांसी घर के सामने लाया जाता है। इस दौरान जेल अधीक्षक, उप जेल अधीक्षक, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, मेडिकल ऑफिसर और सुरक्षा कर्मी मौजूद रहते हैं।
आखिरी इच्छा के लिए दिए जाते हैं 15 मिनट
दोषी को फांसी के तख्ते पर ले जाने से पहले मजिस्ट्रेट उसकी आखिरी इच्छा पूछते हैं। आमतौर पर किसी के नाम खत लिखने, परिजनों को संदेश पहुंचाने, संपत्ति संबंधी इच्छाएं सामने आती रही हैं। इच्छा जाहिर करने के लिए दोषी को करीब 15 मिनट का समय दिया जाता है। इसके बाद जल्लाद दोषी को काले कपड़े पहनाता है और उसे हाथों को पीछे कर बांध दिए जाते हैं।
फंदे पर लटकाने से पहले जल्लाद मांगता है अनुमति
फांसी घर के तख्त पर पहुंचने के बाद जल्लाद दोषी के चेहरे को काले कपड़े से ढंक देता है और पैरों को भी रस्सी से बांध देता है। जल्लाद एक बार कपड़े और रस्सी और फंदे को जांचता है और संतुष्ट होने पर जेल अधीक्षक और मजिस्ट्रेट से अगले आदेश के बारे में पूछता है। इसके बाद जब जेल अधीक्षक हाथ से इशारा करते हैं तो जल्लाद फंदे की रस्सी के लीवर को खींच देता है और दोषी फंदे पर झूल जाता है।
मेडिकल ऑफिसर दोषी की मौत की पुष्टि करते हैं
मेडिकल ऑफिसर दोषी की बॉडी को जांच कर उसकी उसकी मौत की पुष्टि करते हैं। दोषी से आखिरी इच्छा पूछने से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने तक करीब 3 घंटे का समय लग जाता है। फांसीघर जेल के अलग हिस्से में बना होता है। फांसी के दौरान जेल का मुख्य दरवाजा बंद रखा जाता है और जेल में बंद अन्य कैदियों को सेल के अंदर कर दिया जाता है। पूरी जेल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी जाती है।
मरने के बाद दोषी के शव का क्या होता है
दोषी की मौत की पुष्टि के बाद मेडिकल प्रकिया अपनाई जाती है। इसके बाद दोषी के परिजनों को शव पर दावा करने के लिए बुलाया जाता है। लिखित कार्रवाई के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया जाता है। अगर दोषी के शव को ले जाने के लिए कोई भी परिजन दावा नहीं करता है या लेने नहीं आता है तो उससे शव न लेने का कारण बताने वाला लेटर लिखवाया जाता है। इस स्थिति में राज्य सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन शव के अंतिम संस्कार की प्रकिया पूरी करता है।…Next
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