कोलकाता में जन्मे अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र के क्षेत्र विशेष काम करने के लिए साल 2019 का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की है। यह दूसरा मौका है जब भारत से संबंध रखने वाले किसी व्यक्ति को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इससे पहले अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है। अभिजीत बनर्जी ने अपनी पढ़ाई दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से की है। वह लंबे समय से अमेरिका में रह रहे हैं और वहीं के नागरिक भी हैं।
कोलकाता में जन्मे अभिजीत
1961 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्में 58 वर्षीय बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा हासिल की है। इसके बाद वह उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दिल्ली आ गए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। अर्थशास्त्र में गहन रुचि रखने वाले अभिजीत बाद में अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय पहुंच गए। उन्होंने 1988 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वह वर्तमान में एमआइटी वेबसाइट पर उनकी प्रोफाइल के अनुसार मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं।
पत्नी के साथ शेयर करेंगे नोबेल
साल 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से तीन लोगों को दिया गया है। इसमें भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी उनकी पत्नी और अमेरिकी नागरिक एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर के नाम शामिल हैं। नोबेल समिति के मुताबिक इन तीनों लोगों के शोध के कारण वैश्विक गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में सुधार हुआ है। केवल दो दशकों में उनके नए प्रयोग-आधारित दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को बदल दिया है, जो अब अनुसंधान का एक समृद्ध क्षेत्र है।
68 साल बाद शुरू हुआ अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले अर्थशास्त्रियों को पहली बार 1968 में नोबेल प्राइज देने का निर्णय लिया गया है। हालांकि नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 1901 में हो गई थी। 1969 में पहली बार अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया। 1998 में भारतीय मूल के अमर्त्य सेन को विशेष योगदान और शोध कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। साल 2019 के नोबेल पुरस्कारों में कुल 6 क्षेत्रों दवा, भौतिकी, रसायन, साहित्य पुरस्कार, शांति पुरस्कार और अब अर्थशास्त्र के नोबेल की घोषणा की जा चुकी है। …Next
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