बचपन में हम सबने प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दों को पढ़ा है लेकिन अब हम इन मुद्दों से जुड़ी गंभीरता को समझने लगे हैं। पिछले कुछ सालों में प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया है। आपने भी सेहत से जुड़ी परेशानियों को महसूस किया होगा। भारत में जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि ने नीतिकारों के माथे पर लकीर खींच दी है। 1947 में जो जीवन प्रत्याशा दर लगभग 32 वर्ष हुआ करती थी, वह आज बढ़कर 68 वर्ष हो गई है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी।
इस वजह से होगा ऐसा!
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ। के।के। अग्रवाल के मुताबिक “अधिक से अधिक लोग काम के लिए शहरों में जा रहे हैं, जिससे पारंपरिक परिवार संरचनाएं बाधित हो रही हैं। ऐसी स्थिति में, परिवार के बुजुर्ग ही हैं जो पीछे छोड़ दिये जाते हैं और ऐसी स्थिति में उनकी देखभाल कठिन हो रही है। वृद्ध व्यक्तियों को अक्सर युवाओं से कम सक्षम और कम काबिल माना जाता है।”
मौजूदा आबादी के चलन को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी उनके मुताबिक बुजुर्गों के सामने पेश आने वाली चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत है और उन्हें सक्रिय भूमिका निभाने के लिए दुनिया को और समुदायों को अधिक समावेशी बनाने की आवश्यकता है। व्यक्तिगत स्तर पर, लोगों को स्वस्थ वृद्धावस्था के लिए, बीमारियों और जटिलताओं से बचने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने चाहिए…Next
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