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वन नाइट स्टैंड – सोच समझ कर करें फैसला

casual relationआजकल की भागती दौड़ती जीवनशैली में किसी के भी पास अपने संबंधों को निभाने का समय नहीं बचा है. ज्यादा से ज्यादा पैसा और अच्छा ओहदा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति अपने ऊपर ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं रखना चाहता जो आगे चलकर उनकी महत्वाकांक्षाओं की राह में रुकावट पैदा करे. परिणामस्वरूप आत्मकेंद्रीयकरण की प्रवृत्ति इस हद तक बढ़ चुकी है कि अपने स्वार्थ और प्राथमिकताओं के आगे व्यक्ति को बाकी सभी चीजें, चाहे वह किसी की उसके प्रति भावनाएं हों या फिर दूसरों के प्रति उसके उत्तरदायित्व, गौण प्रतीत होने लगे हैं. लेकिन इस संकीर्ण होती मानसिकता की वजह से ही एक समय ऐसा आता है जब अपनी स्वार्थ और आकांक्षाओं को पूरा करने के चलते वह अपने परिवार और दोस्तों से कहीं दूर निकल जाता है और जब उसे वाकई इनकी जरूरत होती है तो उसके पास कोई नहीं होता. व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा पड़ाव आता है जब बेहतर कॅरियर की तलाश में व्यक्ति खुद को अकेलेपन से घिरा पाता है. ऐसे हालातों में अवसाद ग्रस्त होने की बजाए वह थोड़े से सपोर्ट की तलाश में जुट जाता है. संबंधों में किसी भी तरह की प्रतिबद्धता से बचने के लिए वह वन नाइट स्टैंड जैसे संबंधों की तरफ आकर्षित होता हैं, जो उसकी हेक्टिक दिनचर्या और उससे जुड़ी समस्याओं पर कुछ देर के लिए विराम लगा देती है.


हमारी फिल्मों में तो यह आमतौर पर दिखाया जाता है लेकिन अगर आपको ऐसा लग रहा है कि ऐसे हालात केवल फिल्मों में संरचित किए जाते हैं और वास्तविक जीवन में कैजुअल सेक्स जैसी शब्दावली का कोई औचित्य नहीं है तो आपका ऐसा सोचना बिल्कुल बेबुनियाद है. हकीकत यह है कि संबंधों को बोझ समझने वाली हमारी युवा पीढ़ी, चाहे लड़का हो या लड़की, प्रतिबद्धताओं को नकारते हुए इस प्रकार के संबंधों में दिलचस्पी लेने लगी है. जिसके परिणामस्वरूप, सेक्स, जो कभी पति-पत्नी का आपसी मसला हुआ करता था, जिसकी सार्वजनिक रूप से चर्चा करना भी हमारे पारंपरिक भारतीय समाज में शर्मनाक माना जाता था, आज उसी को आधुनिकता की परत चढ़ाए अलग-अलग रूप में हमारे सामने प्रदर्शित किया जा रहा है. कैजुअल शारीरिक संबंध इसी सूची में अगला नाम है. जिसका अर्थ है ऐसे इंसान के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना जिसे आप पहले से ना तो जानते हैं और ना ही कभी मिले हैं. आजकल के युवा जो अपने परिवार से दूर रहते हैं, जिनके पास अच्छे दोस्त नहीं हैं या जिनके पास कोई बढ़िया जॉब नहीं हैं, ऐसी परिस्थितियों में वह बिल्कुल अकेले पड़ जाते हैं. अवसाद से बचने और  अपनी परेशानियों से कुछ समय के लिए अपना दिमाग हटाने के लिए कैजुअल शारीरिक संबंध को तरजीह देने लगे हैं.


मनोवैज्ञानिकों का भी यह मानना है कि जिस प्रकार लोग अवसाद के समय ज्यादा खाने लगते हैं, शारीरिक संबंध भी उसी प्रकार का एडिक्शन है. जब व्यक्ति को लगता है कि उसका जीवन संकट के दौर के दौर से गुजर रहा है. वह अपनी खुशियों और परेशानियों में अपने को अकेला पाता है. कहीं ना कहीं उसे यह समझ में आने लगता है कि परिवार और दोस्तों से दूर खुशियों को तलाशना बेमानी है. ऐसे हालातों में वह अपने दिमाग को कहीं और लगाने के लिए वन नाइट स्टैंड को बेहतर विकल्प समझता है. क्योंकि यह एकमात्र ऐसा रास्ता है जो उसे बिना किसी दूरगामी संबंध, प्रतिबद्धता की शर्त के बिना सहारा प्रदान करता है.

दुल्हन ही प्राथमिकता सूची में शामिल ?

कुछ तथाकथित सभ्य वर्गों के लोगों ने भी यह बात स्वीकार की है कि कैजुअल सेक्स जैसी चीजों में मानव की दिलचस्पी कोई गलत बात नहीं है. अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संबंध बनाते हैं जिसे आप पहले से नहीं जानते तो आप कोई पाप नही कर रहे हैं. लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जो भारतीय समाज अपने बरसों पुराने संस्कार और परंपराओं का अनुसरण करते हुए विवाह से पहले महिला-पुरुष के बीच किसी भी प्रकार के संपर्क की अनुमति तक नहीं देता तो ऐसी परिस्थितियों में कैजुअल सेक्स जैसे संबंधों का क्या औचित्य है, जो इसकी नींव को ही खोखला करने पर तुले हों?


सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि महिलाएं जिनसे हमेशा शालीनता के दायरे में रहने की ही उम्मीद की जाती है, वह भी ऐसे संबंधों की खुलकर तरफदारी कर रही हैं. उनका यह भी मानना है कि हमारी सोसाइटी की महिलाओं की शारीरिक संबंधों के प्रति रुझान और वन नाइट स्टैंड जैसे अस्थायी संबंधों में रुचि एक अच्छा और सकारात्मक संकेत है.


हमारा समाज और उससे जुड़े लोग आज से नहीं बल्कि वर्षों पहले से ही बिना सोचे-समझे पाश्चात्य देशों की संस्कृति का अनुसरण करते आए हैं. कैजुअल सेक्स भी विदेशों से ही भारत में आया प्रचलन है जिसने भारत की मौलिकता पर प्रहार करते हुए जल्द ही अपने पांव यहां पसार लिए हैं. ऐसे संबंधों में मनुष्य की भावनाओं की कोई अहमियत नहीं रह जाती. शारीरिक आकर्षण और आपसी सहमति के बल पर ही दो व्यक्ति ऐसे संबंधों के प्रति प्रेरित होते हैं. ऐसे संबंधों के प्रचलित होने का एक मुख्य कारण यह भी है कि आज की पीढ़ी शारीरिक संबंधों को भावनात्मक महत्व ना देते हुए इसे केवल एडवेंचर ही समझती है. नवयुवक-नवयुवतियां जो अपने कॅरियर को तराशने में संघर्षरत हैं, थोड़े से नकारात्मक हालातों में कमजोर पड़ने के बाद सहारे की तलाश में ऐसे संबंधों की तरफ रुख करते हैं. वह यह नहीं समझते कि ऐसे किसी के भी साथ संबंध स्थापित करना आगे चलकर कितनी बड़ी परेशानियां खड़ा कर सकता है. खासतौर पर महिलाओं के लिए, जिनकी जरा सी भी गलती माफी योग्य नहीं मानी जाती.

किशोर अपराध – सजा नहीं बल्कि सुरक्षा और देखभाल की जरूरत

परंपराओं और मान्यताओं की बात छोड़ अगर ऐसे शारीरिक संबंधों के व्यावहारिक पक्ष की ओर भी ध्यान दें तो ऐसा संबंध जिसकी बुनियाद में प्रेम और भावनाएं ही नहीं हैं, लंबे समय के लिए सही नहीं कहा जा सकता. इसके अलावा वे लोग जो थोड़े ज्यादा भावुक हैं उनके लिए यह नया ट्रेंड कई प्रकार की मुश्किलें पैदा कर सकता है. बिना किसी को जाने पहचाने और ज्यादा लोगों के साथ संबंध बनाने से यौन रोगों का खतरा भी बहुत ज्यादा रहता है. वन नाइट स्टैंड जैसे बड़े कदम उठाने से पहले व्यक्ति को पता होना चाहिए कि वो क्या कर रहा हैं. क्योंकि यह ऐसी गलती है जिसे कभी सुधारा नहीं जा सकता.


व्यक्ति अगर अकेलेपन से परेशान होने के बाद इस नए ट्रेंड की ओर आकर्षित हो रहा है तो बेहतर है कि ऐसी संकीर्ण मानसिकता और स्वार्थ भावना को त्याग दिया जाए जो आगे चलकर पछतावे के सिवाय और कुछ नहीं छोड़ती. हमें अपने दोस्तों और परिवार की अहमियत कभी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए.


हमारी युवा पीढ़ी नैतिकता और उसके महत्व को सिरे से नकारती प्रतीत हो रही है. उनके लिए अपनी खुशियों और आकांक्षाओं के सामने सब चीजे फीकी पड़ जाती हैं. शारीरिक संबंध प्रत्येक व्यक्ति का अपना व्यक्तिगत मसला होता है लेकिन केवल मॉडर्न कहलाने के एवज में हमें अपनी संस्कृति और मौलिकता पर आघात करना पड़े, तो ऐसा किसी भी प्रगतिशील और सभ्य समाज के लिए हितकर नहीं होगा. आधुनिक होना कोई गलत बात नहीं है लेकिन बिना सोचे-समझे इसका अनुसरण करना नैतिक रूप से एक अपराध ही माना जाएगा. बेहतर है कि अपनी जिम्मेदारियों, नैतिकता और मूल्यों को समझने के बाद ही कोई फैसला किया जाए.

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