लॉकडाउन के दौरान दूसरे प्रदेशों में फंसे रहे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने कई श्रमिक ट्रेनें चलाईं। इस दौरान 52 लाख यात्री ट्रेनों से अपने घर पहुंचने में सफल रहे। रेलवे के मुताबिक ट्रेनों में 30 से ज्यादा बच्चों ने जन्म लिया। रेलवे के चिकित्सकों की देखरेख में जच्चा और बच्चा को सकुशल उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है।
3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलीं
भारतीय रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने लॉकडाउन के दौरान चलाई गईं ट्रेनों और यात्रियों के बारे जानकारी देते हुए बताया कि 28 मई तक देशभर के अलग अलग रूट पर कुल 3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। इन ट्रेनों से करीब 52 लाख यात्री सफर कर अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं।
एक सप्ताह में करीब 20 लाख यात्री रवाना
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने एएनआई को बताया कि पिछले एक हफ्ते का औसत 1524 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें और करीब 20 लाख यात्रियों का रहा है। एक हफ्ते में हमने प्रतिदिन करीब 3 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है।
राज्यों को दी जा रहीं श्रमिक ट्रेनें
विनोद कुमार यादव ने बताया कि रेलवे ओरिजनेटिंग राज्य (जिस राज्य से ट्रेन चलती है) की मांग के हिसाब से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उपलब्ध करा रहा है। धीरे-धीरे ऐसा लग रहा है कि ओरिजनेटिंग राज्य की ओर ट्रेनों की मांग कम होने लगी है। उन्होंने कहा कि 24 मई को हमने सब राज्य सरकारों से उनकी ट्रेनों की जरूरत के बारे में लिस्ट मांगी थी।
हर दिन घट रही ट्रेनों की मांग
उन्होंने कहा कि राज्यों की मांग के हिसाब से ट्रेनों की संख्या करीब 923 थी। कल हमने फिर राज्य सरकारों से बात करके उनकी ट्रेनों की जरूरत मांगी है। आज केवल 449 ट्रेनों की जरूरत है। ट्रेनों की मांग पिछले दिनों की अपेक्षा अब कम हो गई है।
ट्रेने में 30 डिलीवरी हुईं
विनोद कुमार यादव ने बताया कि भारतीय रेलव में सफर के दौरान 30 बच्चों ने जन्म लिया है। भारतीय रेल ने अपने डॉक्टर भेजकर ट्रेन में सफलतापूर्वक 30 से ज़्यादा डिलीवरी कराई हैं। रेलवे के डॉक्टरों और नर्सों ने 24 घंटे काम करके जहां जरूरत है वहां पहुंच कर स्वास्थ्य सुविधा देकर अस्पताल पहुंचाया है और वहां जच्चा बच्चा को सकुशल उनके घरों में शिफ्ट कराया है।..NEXT
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