पूरे देश में नवरात्रि की चहल-पहल है. विविधताओं से भरे भारत में नवरात्रि के कई रंग देखे जा सकते हैं। कहीं माता की चौकी सजी हुई है, तो कहीं खाने-पीने का पंडाल, वहीं दर्शन करने के लिए मंदिरों में भीड़ देखी जा सकती है। सोशल साइट्स पर डांडिया के रंग से लोग सराबोर दिख रहे हैं। नवरात्रि के इन सभी रंगों से परे उत्तरी बंगाल के कुछ हिस्सों में दुर्गा पूजा नहीं बल्कि महिषासुर के मरने का शोक मनाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये लोग कोई और नहीं बल्कि खुद को महिषासुर के वंशज बताने वाले हैं। ये लोग बंगाल के उत्तरी हिस्से में स्थित पुरुलिया समेत कुछ और स्थानों पर असुर उत्सव मनाते हैं।
शोक सभा का करते हैं आयोजन
इस समुदाय के लोग कई स्थानों पर शोक सभा का आयोजन करते हैं, इसे महिषासुर की स्मरण सभा का भी नाम दिया गया है। इस साल बाकायदा इस समुदाय के लोगों ने कमेटी के गठन करने का फैसला लिया है। इस साल असुर उत्सव को काफी बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी है। पूरे राज्य में करीब 800-900 के बीच में असुर स्मरण सभाएं आयोजित की जाएंगी।
प्रशासन का नहीं है कोई डर
ये लोग बखूबी जानते हैं कि इनके इस कदम से ज्यादातर लोगों को आपत्ति हो सकती है। वहीं ये लोग प्रशासन से किसी तरह की शिकायत किए जाने पर भी खुद को तैयार किए बैठे हैं। इनका कहना है कि इनकी धार्मिक आस्था दूसरों से अलग जरूर है, लेकिन किसी भी प्रकार से हिंसक नहीं है, इन्हें अपनी धार्मिक आस्थाओं को चुनने की आजादी है।
हो चुकी है पहली बैठक
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