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दिल्ली में पुरूषों में बढ़ रहा है इस बीमारी का खतरा, ऐसे बरतें सावधानी

भागती-दौड़ती जिंदगी में हमारे पास खुद के लिए वक्त नहीं है, ऐसे में शारीरिक रूप से थका होने के अलावा मानसिक रूप से भी थक जाते हैं। हमारा कोई भी काम पूरा नहीं हो पाता। हम प्राथमिकताओं में ऑफिस, घर-परिवार, बिजनेस और दोस्तों को तो रख लेते हैं लेकिन खुद को प्रॉयरिटी लिस्ट में रखना भूल जाते हैं। नतीजन, हम खुद का ख्याल नहीं रख पाते और सेहत से जुड़ी कई छोटी-छोटी परेशानियों को नजरअंदाज कर देते हैं। महानगरों में सेहत से जुड़ी परेशानियों से ज्यादा ही जूझना पड़ता है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal27 Sep, 2018

दिल्ली में इन दिनों पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर तेजी से फैल रहा है। कैंसर प्रोजेक्शन डेटा बताते हैं कि 2020 तक इन मामलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। प्रोस्टेट कैंसर दिल्ली में पुरुषों के बीच दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है, साथ ही सभी जानलेवा बीमारियों में इसकी हिस्सेदारी 6।78 प्रतिशत है।

 

 

दिल्ली के अलावा इन शहरों में भी तेजी से फैल रहा है प्रोस्टेट कैंसर
दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। साथ ही सभी जानलेवा बीमारियों में इसकी हिस्सेदारी 6।78 प्रतिशत है। दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक, दिल्ली, कोलकाता, पुणे और तिरुवनंतपुरम जैसे बड़े भारतीय शहर कैंसर की दूसरी सबसे बड़ी जगहें हैं, वहीं बेंगलुरू और मुंबई जैसे शहर तीसरी प्रमुख जगहें हैं। यह भारत के शेष पापुलेशन बेस्ड रजिस्ट्री फॉर कैंसर (पीबीआरसी) में कैंसर फैलने के शीर्ष 10 प्रमुख शहरों में शामिल हैं। संस्था की तरफ से जारी बयान के अनुसार, कैंसर प्रोजेक्शन डेटा बताते हैं कि 2020 तक इन मामलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। प्रोस्टेट कैंसर दिल्ली में पुरुषों के बीच दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है, साथ ही सभी जानलेवा बीमारियों में इसकी हिस्सेदारी 6।78 प्रतिशत है।

 

क्या है प्रोस्टेट कैंसर
पुरुषों में पाई जाने वाली एक ग्रंथि है, जो वास्तव में कई छोटी ग्रंथियों से मिलकर बनी होती है। यह ग्रंथि पेशाब के रास्ते को घेर कर रखती है और उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि के ऊतकों में गैर-नुकसानदेह ग्रंथिकाएं विकसित हो जाती है।

 

 

ऐसे पहचानें शुरुआती लक्षण
प्रोस्टे‍ट कैंसर होने पर रात में पेशाब करने में दिक्कत होती है।
रात में बार-बार पेशाब आता है और आदमी सामान्य अवस्था की तुलना में ज्यादा पेशाब करता है।
पेशाब करने में कठिनाई होती है और पेशाब को रोका नही जा सकता है, पेशाब रोकने में बहुंत तकलीफ होती है।
पेशाब रुक-रुक कर आता है, जिसे कमजोर या टूटती मूत्रधारा कहते हैं।
पेशाब करते वक्त जलन होती है।

 

 

ऐसे बरतें सावधानी
बहुत अधिक रेड मीट और नॉन आर्गेनिक मीट के सेवन से बचें।
अधिक तैलीय, डिब्बानबंद, डेयरी उत्पा्द आदि का सेवन कम करें।
शराब, कैफीन का सेवन कम करें, नियमित व्यातयाम बहुत जरूरी है …Next

 

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