एक लड़का हमेशा भागता-दौड़ता रहता था. कभी कहीं नौकरी करता था और कभी कहीं. उसकी जिन्दगी में एक पल भी ऐसा नहीं होता था जब वो राहत की सांस ले सके पर उसे एक ऐसी लड़की की तलाश थी कि जब उस लड़के के पास समय हो तो उसके साथ डिस्को जा सके और प्यार भरी बातें कर सके. बड़ा नसीब वाला था वो लड़का उसे ऐसी लड़की मिल भी गई पर फिर अचानक……
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उस लड़के को कुछ कमी लगने लगी जैसे सब कुछ होते हुए भी वो अकेला है. एक दिन उस लड़के ने बड़े प्यार से अपनी प्रेमिका से पूछा कि ‘तुम्हें मेरे अन्दर सबसे अच्छा और सबसे बुरा क्या लगता है’ तो डिस्को साथ जाने वाली उसकी प्रेमिका ने कहा कि ‘बहुत अच्छा लगता है जब तुम शराब पीकर मीठी-मीठी बातें करते हो और सबसे बुरा यह कि जब तुम डिस्को जाने से मना कर देते हो’.
उस लड़के को अजीब लगा पर क्या किया जा सकता है आखिरकार उस लड़के ने यही चाहा था कि उसे ऐसी लड़की चाहिए जो उसके साथ शराब पी सके और डिस्को जा सके. एक दिन ऐसा आया जब शराब पीने की आदत के कारण उस लड़के कि नौकरी चली गई और वो अकेला हो गया क्योंकि जिन्दगी में कुछ मोड़ ऐसे आते हैं जब आप अपनी परेशानी अपने माता-पिता को नहीं बता पाते हैं.
अकेला चल रहा था पर हर मोड़ पर उसे यह अहसास हो रहा था कि ‘शायद कोई ऐसा होता जो हाथ पकड़ कर मेरे साथ चल सकता’. एक रात 11 बज रहे थे कि अचानक उस लड़के का फोन बजता है और जैसे ही वो फोन को उठाता है तो…..
एक लड़की की आवाज होती है जो फोन पर कहती है कि ‘आज रात एक पार्टी है साथ चलना है’ यह आवाज उसकी प्रेमिका की थी. फिर क्या था लड़का एकदम से बोलता है कि आज मेरी जेब में पैसे नहीं है क्योंकि मेरी जो जो आदत तुम्हें पसंद थी शराब पीने की उसी ने मेरी जिन्दगी को बर्बाद कर दिया.
देखा झूठे रिश्ते उस दिन टूट जाते हैं जब हमारे पास उन झूठे रिश्तों की जरूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य नहीं रहता है. सच तो यह है कि कभी-कभी हम अपनी कुछ इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऐसे कदम उठा लेते हैं जो भविष्य में हमें केवक नुकसान ही देते हैं.
इस कहानी का नाम ‘आया रे खिलौने वाला ढेर खिलौने लेकर आया रे’ क्यों रखा गया है हमें इस कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया भेज जरूर बताइए. हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा और इस कहानी का नाम ‘ढेर खिलौने’ क्यों रखा गया है यह जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘जागरण जंक्शन का सोशल इश्यू’ ब्लॉग.
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