15 फरवरी को जहां एक तरफ भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें एक दूसरे से बीस साबित होने के लिए संघर्ष कर रहीं थी वहीं भारत से गई एक विशेष सेना पाकिस्तान में जो एक अलग मोर्चे पर लड़ाई लड़ रही थी. यह लड़ाई है भूख से और इस सेना का नाम है ‘रॉबिनहुड आर्मी.’ भारत से जुड़ी इस सेना का सरोकार न गोला-बारुद से है और न ही सीमाओं के संघर्ष से. यह सेना चाहे भारत में लड़े या पाकिस्तान में इसकी दुश्मन भूख ही होती है.
कराची कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर भी 15 फरवरी को भारत-पाक के क्रिकेट मैच का रोमांच महसूस किया जा सकता था, पर छह युवाओं की टोली कुछ अलग नजारा गढ़ रही थी. ये युवा 250 से ज्यादा जरूरतमंदों को खाना खिलाने में जुटे थे. रॉबिनहुड आर्मी से जुड़े इन रॉबिनहुडों का काम बड़े-बड़े होटलों से खाना जमा करके उन्हें गरीबों के बीच बांटना है. दिलचस्प बात यह है कि ‘रॉबिनहुड आर्मी’ नाम के इस कैंपेन की जड़े भारत में है. इस मुहिम की शुरुआत भारत-पाकिस्तान के दो दोस्तों ने की जो कभी लंदन में एक साथ पढ़ा करते थे.
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‘रॉबिनहुड आर्मी’ की शुरुआत दिल्ली में पिछले साल जून में हुई थी. दो दोस्त, नील घोष और आनंद सिन्हा ने इसे शुरू किया. नील घोष ऑनलाइन रेस्त्रां सर्च इंजन जोमैटो के वाइस प्रेसिडेंट हैं. जोमैटो भारत समेत 21 देशों में काम करती है. रॉबिनहुड आर्मी के 11 शहरों में 400 से ज्यादा वॉलन्टियर हैं, जो रोज ढाई से तीन हजार गरीबों को खाना खिलाते हैं.
कराची में इस कैंपेन को साराह अफरीदी ने शुरू किया है. वे कभी नील घोष के साथ लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ा करते थे. साराह के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान में सिर्फ सरहद का फर्क है. गरीबी और भूख के मामले में दोनों की स्थिति लगभग एक जैसी ही है. पाकिस्तान के 40 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं जबकी होटलों और अन्य जगहों में बड़ी मात्रा में खाना बर्बाद हो जाया करता है. हजारों लोग भूखे सोते हैं. साराह और उनके पांच दोस्तों के साथ पाकिस्तान में शुरू हुआ यह कैंपेन भूखों की मदद के साथ-साथ यह भी संदेश देता है कि, ऐसे कई मानवीय मुद्दे हैं जिनपर ये दोनों पड़ोसी देश मिलकर काम कर सकते हैं. Next…
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