Menu
blogid : 316 postid : 1391547

सआदत हसन मंटो की कलम ने सरकार हिला दी, पाकिस्‍तान ने बैन कर दीं थीं कहानियां और पुस्‍तकें

उर्दू साहित्‍य के सबसे चमकते हुए सितारे सआदत हसन मंटो की कलम में ऐसा दर्द और गुस्‍सा था कि लोग उनकी कहानियां पढ़ते पढ़ते रोने लगते और डूबती सामाजिक चेतना के प्रति गुस्‍सा हो जाते थे। उनकी लिखी रचनाएं इतनी सजीव चित्रण करती रही हैं कि सरकारें भी उनके लेखन की ताकत से घबराती रही हैं। पाकिस्‍तान सरकार ने सआदत हसन मंटों की कई कहानियों और पुस्‍तकों पर प्रतिबंध लगाया है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan18 Jan, 2020

 

 

 

 

पंजाब के लुधियाना में 1 मई 1912 को जन्‍मे मशहूर लेखक और क्रांतिकारी साहित्यकार सआदत हसन मंटो की आज यानी 18 जनवरी को पुण्‍यतिथि पूरी दुनिया में मनाई जा रही है। सआदत हसन मंटो ने भारत पाकिस्‍तान के बंटवारे को बेहद नजदीकी से देखा और जिया है। उनकी कहानियों में इस दर्द को बेहद संजीदगी से बयान भी किया गया है। उनकी कालजयी रचनाओं ठंडा गोश्‍त, काली सलवार और बू में क्रूर हो चुके समाज और सितम का शिकार होने वालों के दर्द को बयान किया गया है।

 

 

 

 

मंटो के पिता मशहूर बैरिस्‍टर थे और उनके परिवार में कई लोग ऊंचे ओहदों पर कामय थे। उनके पिता भी चाहते थे कि मंटो भी वकालत को अपना लें। अलीगढ़ यूनीवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाले मंटो को लेखन का चाव था। 21 साल की उम्र में ही मंटो ने रूसी और फ्रांसीसी लेखकों को पढ़ना शुरू कर दिया था। किशोरावस्‍था से लेखन के क्षेत्र में नाम कमाने वाले सआदत हसन मंटो को बंटवारे ने झकझोर दिया। अपनी कहानियों में लोगों के साथ होने वाली ज्‍यादती और उनकी लाचारी को दिखाया है।

 

 

 

मंटो ने अपनी पहली कहानी तमाशा लिखी। यह कहानी जलियावाला बाग हत्‍याकांड पर केंद्रित थी। इस कहानी को खूब पसंद किया गया। इसके बाद मंटो ने टोबा टेक सिंह जैसी लगातार कई कहानियां लिखीं। उनकी लिखी ठंडा गोश्‍त, काली सलवार और ‘बू’ के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाया गया है। कहा गया कि सआदत हसन मंटो की कहानियों में अश्‍लीलता है। कोर्ट में मंटो ने सुनवाई के दौरान कहा था कि वह जो देखते हैं वही लिखते हैं और जो हो रहा है वही उनकी कहानियों का हिस्‍सा है। वह सच लिखते हैं।

 

 

सभी तस्‍वीरें ट्विटर से।

 

 

मंटो की कहानी ठंडा गोश्‍त, काली सलवार और ‘बू’ को तत्‍कालीन पाकिस्‍तान सरकार ने बैन कर दिया था। बाद के दिनों में मंटो पर पाकिस्‍तानी फिल्‍ममेकर सरमाद खूसत ने मंडो के नाम से ही फिल्‍म भी बनाई। भारत की जानी मानी फिल्‍म निर्देशिका नंदिता दास ने भी 2018 में मंटो के जीवन पर केंद्रित फिल्‍म मंटो बनाई। दोनों ही फिल्‍मों को सराहना मिली। पूरी दुनिया में आज भी मंटो की कहानियां लोग बढ़े चाव से पढ़ते हैं। मंटो तो अब इस दुनिया में मौजूद नहीं हैं, लेकिन वह अपनी कालजीय कहानियों के जरिए लोगों के दिलों में आजी भी जिंदा हैं।…NEXT

 

 

 

Read More:

मुत्‍यु दंड के दोषी को कैसे दी जाती है फांसी, समझिए पूरी प्रक्रिया

09 महीने में चार बच्‍चों को जन्‍म देने वाली महिला को देख चौंक गए लोग, दुनियाभर के डॉक्‍टर आश्‍चर्य में

क्रिसमस आईलैंड से अचानक निकल पड़े 4 करोड़ लाल केकड़े, यातायात हुआ ठप

हैंगओवर की दवा बनाने के लिए 1338 दुर्लभ काले गेंडों का शिकार, तस्‍करी से दुनियाभर में खलबली

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh