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गेम्स को अनिवार्य रूप सिलेबस में शामिल करने की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानें याचिका की खास बातें

जब भी इंटरनेशनल लेवल की कोई चैम्पियनशिप होती है, तो हमारी नजरे गोल्ड मेडल पर टिक जाती है। ऐसे में ज्यादातर भारत को सिल्वर मेडल के साथ या फिर खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है। ऐसे में जब बात हो कॉमनवेल्थ गेम्स की, तो दूसरे देशों के मुकाबले भारत की झोली में गिनती के ही मेडल गिरते हैं। ऐसे में बार-बार सोशल मीडिया पर भारत की बढती जनसंख्या को खेलों में औसत प्रदर्शन से जोड़कर देखा जाता है।
हालांकि, बीते सालों में भारत के नाम कई मेडल रहे हैं, फिर भी खेलों और खिलाड़ियों के प्रति सरकार के रवैये को लेकर सवाल उठते रहते हैं। कई बार मांग की जाती है, खेलों को स्कूल के सिलेबस में अनिवार्य करने की। अब इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। शिक्षा के अधिकार के तहत प्राथमिक और हायर सेकेंड्री लेवल के पाठ्यक्रम में स्पोर्ट्स को अनिवार्य तौर पर शामिल करने की मांग को लेकर एक लॉ स्टूडेंट ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल की है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal21 Aug, 2018

 

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी), नैशनल काउंसल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च सेंटर (एनसीईआरटी) और ट्रेनिंग ऐंड स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब देने का निर्देश दिया गया है। ये सभी संस्थाएं इस पर जवाब देंगी कि स्पोर्ट्स को एक अनिवार्य विषय के तौर पर पाठ्यक्रम में शामिल करने और शिक्षण संस्थाओं में खेल के मैदान और उपकरणों आदि की क्या स्थिति है।

 

 

याचिकाकर्ता की मांग है कि देश में खेलों की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रमों में स्पोर्ट्स को अनिवार्य किया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि खेलों को बढ़ावा देने से बच्चों और युवाओं के बीच धैर्य, एक-दूसरे का सहयोग, दोस्ती बढ़ाने और कई अन्य सामाजिक विकृतियों को दूर करने में मदद मिलगी। याचिकाकर्ता का कहना है, ‘जब तक खेल गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाएंगे ओलिंपिक और दूसरी प्रतियोगिताओं में भारत का मेडल सूची में ऊपर आना लगभग असंभव है। यह वक्त की मांग है कि देश में खेलों की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए और इसके लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।’
अब देखना यह है कि कोर्ट इस मामले पर क्या फैसला करती है…Next

 

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