एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ हुए दलित संगठनों के आंदोलन में देश के कई राज्यों में हिंसा हुई। इस हिंसक प्रदर्शन में 12 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. जबकि कई जगह अभी भी तनाव बना हुआ है। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के एक मामले की सुनवाई के दौरान किया था। जिसे लेकर देश भर में बवाल मचा हुआ है। आइए जानते हैं क्या था वो मामला।
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महाराष्ट्र का था पूरा मामला
मामले की शुरुआत महाराष्ट्र में शिक्षा विभाग के स्टोर कीपर पर जातिसूचक टिप्पणी से हुई थी। इसमें राज्य के तकनीकी शिक्षा निदेशक सुभाष काशीनाथ महाजन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि महाजन ने अपने अधीनस्थ उन दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी, जिन्होंने दलित स्टोर कीपर पर जातिसूचक टिप्पणी की थी। इसके बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा, यहां जब दोनों आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनके सीनियर अधिकारी महाजन से इजाजत मांगी, तो उन्होंने इनकार कर दिया। इस बात पर पुलिस ने महाजन पर भी केस दर्ज कर लिया।
हाईकोर्ट पहुंचा मामला
पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के खिलाफ 5 मई 2017 को काशीनाथ महाजन ने इसके खारिज कराने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने ये दिया आदेष
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने 20 मार्च को उन पर एफआईआर हटाने का आदेश दिया। शीर्ष कोर्ट ने इस फैसले के साथ आदेश दिया कि एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न की जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। दलित संगठनों और विपक्ष ने केंद्र से रुख स्पष्ट करने को कहा। सरकार ने कहा कि हम इस मसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत मिले। पुलिस को 7 दिन में जांच करनी चाहिए, सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती।…Next
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