Menu
blogid : 316 postid : 818798

14 साल के बच्चे को 10 मिनट में बारह जजों ने दी मौत की सजा

उसे इंसाफ तब मिला जब उसे मरे हुए 7 दशक बीत चुके थे. कितने आश्चर्य की बात है कि हम जिस दुनिया में रहते हैं वहां हमारी पुकार सुनने के लिए कुछ दिन, हफ्ते या महीने नहीं बल्कि सालों साल लग जाते हैं. इतने साल कि तब तक शायद ना केवल उसकी पहचान बल्कि उसका नाम तक गुम हो जाता है.


court order


जॉर्ज स्टिन्नी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. महज 14 वर्ष के जॉर्ज, जो कि दक्षिणी कैरोलिना प्रांत से सम्बन्ध रखता था उसे वर्ष 1944 में अमेरिका द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी. कारण था दो गोरी लड़कियों को पीटना जिस वजह से दोनों की मौत हो गई थी.


अपना गुनाह कबूलने पर जॉर्ज को कोर्ट में केवल 10 मिनट के अंदर फांसी की सजा सुना दी गई. ताज्जुब की बात है कि इतने छोटे बच्चे की किसी भी तरह की दलील को सुने बिना ही मौजूद ज्यूरी ने महज 10 मिनटों में जॉर्ज की जिंदगी का फैसला कर डाला.


Read: क्यों बच्चे भी कर रहें हैं यौन अपराध…आपकी ये कोशिशें बदल सकती हैं हालात



Georgen Stinney Jr


बात यहीं खत्म नहीं हुई, उस समय अपराधी को सजा के तौर पर मृत्युदंड देने का जो तरीका था वो बेहद ही भयानक था. इस नन्हीं सी जान को कुर्सी पर बैठाकर बिजली के जोरदरा झटके दिये गए जिस के बाद उसे अपना दम तोड़ दिया.


जॉर्ज के अपराध से लेकर उसके मर जाने तक जो हुआ वह तो न्यायिक संस्था का फैसला था लेकिन अब जो फैसला आया है उसने जॉर्ज के उन जख्मों की भावना को फिर से जिंदा कर दिया है. इतने सालों बाद जॉर्ज तो वापस नहीं आ सकता लेकिन अब फैसला यह आया है कि उसका अपराध मौत पाने लायक नहीं था जिसके तहत न्यायालय ने उसे दोषमुक्त कर दिया.


electric shock


जॉर्ज के हक में सुनाए गए इस फैसले पर क्या टिप्पणी की जाए यह तो समझ में नहीं आता है लेकिन एक बात जरूर स्पष्ट है कि इस फैसले पर खुश होने या प्रतिक्रिया तक करने के लिए जॉर्ज स्टिन्नी नाम का वो बच्चा आज इस दुनिया में नहीं है. यह महज कानून और दलीलों की लेटलतीफी का एक बड़ा नमूना है. Next….


Read more:

एक भिखारी ने बदल दी उसकी ज़िंदगी…..पढ़िए आपके दिल को छू जाने वाली एक सच्ची कहानी


जिसे जन्म लेते ही डॉक्टरों ने मार देने का सुझाव दिया था वह औरों को दिखा रहा है जीने की राह… पढिए प्रकृति को चुनौती देती हौसले की अद्भुत कहानी


शायद उन्हें अंदाजा ना था कि एक एड्स संक्रमित मरीज का अपमान करना पड़ सकता है इतना महंगा, जिंदगी से रूबरू कराती एक हकीकत


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh