भारत की आजादी के इतिहास का जिक्र भगत सिंह के बिना पूरा नहीं हो सकता। देश की आजादी के लिए लड़ते हुए 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी दे दी थी। इस बात को कई साल गुजर गए हैं, लेकिन भगत सिंह आज भी हमारे जेहन में जिंदा हैं। भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हें चाहने वाले जितने सरहद के इस पार मौजूद हैं तो उतने ही सरहद की दूसरी तरफ भी। पाकिस्तान में उनका वो घर भी मौजूद है, जहां उनका जन्म हुआ था और जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया था।
भगत सिंह का पुश्तैनी घर पाकिस्तान में मौजूद
28 सितंबर, 1907 को फैसलाबाद जिले के जरांवाला तहसील स्थित बंगा गांव में जन्मे भगत सिंह के पूर्वज महाराजा रणजीत सिंह की सेना में थे। शहीद भगत सिंह का पुश्तैनी घर पाकिस्तान में मौजूद है, ऐसा भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन का दावा है। भगत सिंह का जन्म फैसलाबाद के बंगा गांव में हुआ था।
घर को हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया है
भगत सिंह के दादा का बनाया हुआ घर आज भी पाकिस्तान में मौजूद है, ऐसे में सरकार की तरफ से इसे चार साल पहले हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया था। इसे सरंक्षित करने के बाद दो साल पहले पब्लिक के लिए खोल दिया गया। फरवरी 2014 में फैसलाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर ऑफिसर नुरूल अमीन मेंगल ने इसके संरक्षित घोषित करते हुए मरम्मत के 5 करोड़ रुपए की रकम भी दी थी।
120 साल पुराना आम का पेड़
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन नाम का एक संगठन भगत सिंह की यादों को पाकिस्तान में संजोने का काम कई सालों से करता आ रहा है। इस संगठन के लोग गांव में 23 मार्च को उनके शहादत दिवस सरदार भगत सिंह मेले की भी आयोजन करते हैं है। कहते हैं उनके दादा ने एक पेड़ लगाया था जो करीब 120 साल पुराना आम का पेड़ है, वो आज भी वहां मैजूद है। उनके गांव का नाम बदल कर भगतपुरा रख दिया गया है।
ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह का कत्ल किया
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए कहा था कि, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को गलत मुकदमे के तहत फांसी दी गई और वे इस मामले में ब्रिटिश हुकूमत से माफी की मांग भी की थी। फाउंडेशन की मानों तो ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह का अदालती कत्ल किया था, ऐसे में उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
फांसी के वक्त देश को याद कर रहे थे
भगत सिंह की फांसी के दौरान वहां मौजूद लोगों के अनुसार भगत सिंह और उनके दोस्तों को अपनी जान का कोई गम नहीं था, बल्कि वो अपने भगवान से एक बार फिर इसी देश में खुदको पैदा करने की गुजारिश की कर रहे थे। साथ ही वो खुश थे कि उनके जाने के बाद लोगों में आजादी को लेकर और आक्रोश आएगा और देश को आजादी मिल जाएगी।
आखिरी बार बोला इंकलाब जिंदाबाद
कहते हैं फांसी से पहले भगत सिंह ने बुलंद आवाज में देश के नाम एक संदेश भी दिया था। उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाया था और अपमी अंतिम इच्छा के तौर पर अपने साथ खड़े दोस्त राजगुरु और सुखदेव को गले लगाया था।…Next
Read More:
ओला-उबर ड्राइवरों की हड़ताल की ये है असली वजह, जानें आप पर क्या पड़ेगा असर
भारत-पाकिस्तान समेत वो 6 देश, जिनके झंडे देते हैं ये संदेश
आपके पास इनकम टैक्स का नोटिस आएगा या नहीं, घर बैठे इस तरह करें पता
Read Comments