दिल और जज्बात एक-दूसरे से कुछ ऐसे जुड़े होते हैं जहां दिमाग की कहानी फेल हो जाती है. इस दिल और इन जज्बातों से कहीं भी, कभी भी जुड़ जाती है एक प्रेम कहानी. फिर दिमाग लाख क्यों न समझाए कि यह गलत है लेकिन दिल कहां मानता है. जंग के मैदान में भी सिपाही कठोर बनने के लिए मजबूर जरूर होता है लेकिन वह भी एक इंसान है और जब प्यार के वे जज्बे कहीं दिल में दस्तक देते हैं तो वह भी यह मानने को मजबूर हो जाता है कि लाख लड़ाइयां वह क्यों न कर ले, लाख गोलियां चला ले लेकिन जब कोई उसके दिल को छूकर उसकी बंदूक के सामने खड़ा जाए तो आखिर प्यार जीत जाता है. यह न उस सिपाही की हार है, न उसकी अपने फर्ज से मुंह मोड़ने की शर्मनाक स्थिति. यह एक हालात है इंसानी जज्बातों की, हकीकत है इंसान की और अजीब से हालातों से जूझते, फर्ज की राह में कठोर और पत्थर दिल दिखने वाले सिपाही की हकीकत भी.
लिदिया पानकिव की प्रेम कहानी लाखों में एक है. क्यों? क्या है ऐसा इस प्रेम कहानी में जो किसी की प्रेम कहानियों में नहीं! पहली नजर में आपको यह अनोखी नहीं लगेगी लेकिन जब उनके प्रेम की पहचान आपको मिलेगी, आप जरूर इसका अनूठापन समझ सकेंगे.
लिदिया पानकिव एक जर्नलिस्ट है. यूक्रेन की एक साधारण सी इस जर्नलिस्ट जिसे प्यार हुआ और वह फेमस हो गई. यूक्रेन के प्रेसिडेंट विक्टर यानुकोविच के रेजिग्नेशन के लिए प्रोटेस्ट में शामिल लिदिया पानकिव ने बड़ी बहादुरी से शांतिपूर्वक प्रोटेस्ट कर रहे उनके साथियों की मदद की. प्रदर्शनकारियों को बेरहमी से खदेड़ रही पुलिस में एंद्रेई भी था. उसने लिदिया पानकिव की इस बहादुरी को देखा और उसे उससे प्यार हो गया.
लिदिया प्रोटेस्ट में खो गए अपने किसी दोस्त की मदद के लिए आए फोन पर अपना फोन नंबर दे रही थी. पास ही खड़े एंद्रेई ने उसका नंबर सुना और उसे वह याद हो गया. थोड़ी देर में उसने लिदिया के नंबर पर मैसेज किया. उस टेंशन भरे माहौल में एंद्रेई अपने खिलाफ के खेमे की एक प्रोटेस्टर लड़की से अपने प्यार का इजहार करते हुए शादी के लिए प्रपोज कर रहा था. लिदिया को कुछ समझ नहीं आया. पीसफुली प्रदर्शन कर रहे उसके दो साथियों को इन्हीं कॉप्स ने मार डाला था. बाकी नजारे भी कत्ल-ए-आम के थे. ऐसे में इन्हीं कॉप्स के एक साथी से, वह भी इस तरह वह प्यार कैसे कर सकती थी!
लिदिया ने उससे मिलने के लिए हामी भर दिया लेकिन यह सोचकर कि वह उसे बताएगी कि यह सब गलत है. यह प्यार नहीं हो सकता लेकिन जाने क्या था कि वह ऐसा कर नहीं पाई. शायद एंद्रेई का प्यार सच्चा था कि उसने उसे मना करने की बजाय प्रोटेस्टर से प्यार करने के कारण खतरे में पड़ी नौकरी की परवाह भी न करते हुए ‘हां’ कहने पर मजबूर कर दिया. और आज यह प्रेम कहानी हर किसी की जुबान पर है.
कुछ ही मिनटों में लिदिया के प्रेम में गिरफ्त एंद्रेई की यह कहानी इंसानियत के वजूद की कहानी है. फर्ज की राह में कई बार जानते हुए भी कि उनका कदम गलत है, उन्हें न चाहकर भी बहुत कुछ करना पड़ता है. हालांकि वह सब कुछ उनके फर्ज का हिस्सा होता है लेकिन आम लोग हमेशा एक सिपाही या सरहद पर लड़ने वाले फौजी को ही इसका दोषी मानते हैं.
जब दिल्ली में दामिनी के लिए इंडिया गेट पर प्रोटेस्ट कर रही भीड़ पर पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने को कहा गया, पुलिस भी एक मिनट के लिए तय नहीं कर पाई कि ऐसा करना चाहिए कि नहीं क्योंकि उसे पता था कि प्रोटेस्ट में शामिल लोगों का प्रोटेस्ट सही है और उनके खिलाफ कुछ भी करना गलत था.
ऐसे कई वाकए होते हैं. हम पुलिस को गालियां देकर निकल जाते हैं लेकिन हम भूल जाते हैं कि वह रूप बस एक फर्ज निभाने वाले जिम्मेदार ऑफिसर का है न कि एक आम इंसान का. पुलिस और फौजी के रूप में भले ही उसके सामने वाला उसका विरोधी हो लेकिन एक आम इंसान के रूप में उसका उससे कोई बैर नहीं होता. लेकिन आम इंसान के रूप में वह भी ऐसा ही है जैसा यूक्रेन का यह कॉप्स एंद्रेई. आम इंसान के रूप में वह तो आम लोगों से भी बुरे हालात में होता है. एक तरफ उसकी ड्यूटी होती है जिसमें अपने किसी भी विरोधी से प्यार करना तो दूर, वह अगर उससे सहानुभूति भी दिखाए तो उसका अपराध है, दूसरी तरफ एक आम इंसान का दिल है जहां वह उस फर्ज से बहुत दूर अपने दिल और जज्बातों को अनसुना करने में असफल होता है. अगर वह अपने दिल की सुनता है तो भी वह सेक्रिफाइस कर रहा है और अगर वह अपने दिमाग की सुनता है तो भी सेक्रिफाइस कर रहा है. जैसे एंद्रेई ने किया. उसे पता था कि उसका यह प्यार उसकी ड्यूटी में अपराध है और सजा के रूप में उसकी नौकरी जा सकती है लेकिन एंद्रेई ने उसकी परवाह नहीं की और अपने प्यार का इजहार कर दिया. आज भी एंद्रेई का सरनेम किसी को नहीं पता ताकि उसकी नौकरी खतरे में न पड़ जाए.
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