अधिक उम्र के लोगों में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के प्रति दीवानगी बढ़ रही है. अमूमन ऐसे में सवाल जरूर उठना वाजिब है कि आखिर ऐसा क्यों? बढ़ रही तकनीकी उपलब्धि ने लाइफ स्टाइल पर असर डाला है. मेट्रोज में स्थिति पूरी तरह एकाकीपन की आ चुकी है. बुजुर्गों की तो बात ही छोड़ दें कम उम्र के लोग भी व्यक्तिगत जिंदगी में नितांत अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में संबंधों को बनाए रखने और सामाजिक जीवन सहित कॅरियर में नई ऊंचाइयां छूने के लिए युवा वर्ग सोशल नेटवर्किंग का अधिकाधिक इस्तेमाल कर रहा है जबकि बुजुर्ग अपनी पुराने मित्रों और सहकर्मियों से संपर्क में रहने के लिए सोशल नेटवर्किंग का सहारा ले रहे हैं.
प्यू इंटरनेट और अमेरिकन लाइफ प्रोजेक्ट द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले 50 साल से ज्यादा उम्र वर्ग के लोगों के सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़ने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है. यह रुझान पिछले साल से शुरू हुआ है.
सर्वेक्षण के मुताबिक 50 से 64 वर्षीय लोगों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 88 फीसदी का इजाफा हुआ है. जबकि 65 वर्ष से अधिक आयु वालों की संख्या दोगुनी हो गई है. हालांकि युवा पीढ़ी फेसबुक और अन्य साइटों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही है.
प्यू के मुताबिक हर दस में से सात लोग पुराने मित्रों और सहकर्मियों को तलाशने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही सेवानिवृत्त या कॅरियर बदलने पर सोशल नेटवर्किंग साइट पुराने मित्रों के संपर्क में बने रहने का अच्छा माध्यम हो सकती है. यही नहीं लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे लोग भी ऑनलाइन चर्चाओं में भाग लेने के लिए ब्लॉग लिखते हैं या सोशल साइट का सहारा लेते हैं.
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