दुनियां के सबसे शिष्ट और सामाजिक देश को आज दुनियां की उन खतरनाक जगहों में से एक गिना जा रहा है जहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. भारत जहां महिलाओं को लक्ष्मी-सरस्वती के रुप में पूजा जाता है वहां मादा भ्रूण हत्या, शिशु हत्या और मानव तस्करी जैसे जघन्य कारणों से देश की महिलाओं के लिए असुरक्षित करार दिया गया है.
‘थॉमसन रायटर्स ट्रस्टला वुमन’ नामक संस्था द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण में अफगानिस्तान को महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक स्थान बताया गया है. इसके बाद दूसरे स्थान पर कांगो है. पाकिस्तान को इस सूची में तीसरा और भारत को चौथा स्थान दिया गया है. पांचवे स्थान पर सोमालिया है. इस सूची में शामिल तीन देश दक्षिण एशिया के हैं. सर्वे कराने वाली संस्था महिलाओं के अधिकारों के लिए कानूनी सूचना और सहायता मुहैया कराती है. इस सर्वेक्षण में पांच महाद्वीपों के अलग-अलग क्षेत्रों के 213 विशेषज्ञों से खतरे के बारे में उनकी राय ली गई. सर्वे में खतरों से जुड़े छह प्रमुख वर्ग थे. स्वास्थ्य का खतरा, यौन हिंसा, गैर यौन हिंसा, संस्कृति में शामिल कुरीतियां, पारंपरिक या धार्मिक, आर्थिक संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच में कमी और मानव तस्करी.
भारत को चौथा स्थान मादा भ्रूण हत्या, शिशु हत्या और मानव तस्करी के कारण दिया गया है. वर्ष 2009 में भारतीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने कहा था कि भारत में कम से कम दस करोड़ लोग मानव तस्करी में शामिल हैं. उसी वर्ष सीबीआई का आंकलन था कि लगभग 90 फीसदी तस्करी भारत के अंदर ही होती है. जांच एजेंसी ने कहा था कि लगभग तीन करोड़ वेश्या हैं. इनमें से 40 फीसदी लड़कियां हैं. शोषण का दूसरा रूप जबरन काम कराना और जबरन शादी करना है. संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या निधि के अनुसार माना जाता है कि भारत में पांच करोड़ लड़कियां पिछली शताब्दी में भ्रूण हत्या और शिशु हत्या की शिकार हुईं.
हाल ही में देश की राजधानी, हरियाणा और अन्य कई जगहों से लड़कियों के गायब होने की तादाद में बेइंतहा बढ़ोतरी हुई है. कॉमनवेल्थ गेम्स हो या आईपीएल जब भी कोई बड़ा आयोजन होने को होता है तभी लड़कियों के गायब होने का दौर चलने लगता है. प्रशासन इस मामले में यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि हम छानबीन कर रहे हैं या फिर उलटा चोर कोतवाल को डांटे की तरह उलटा लड़कियों पर ही आरोप लगाते हैं कि वह अपने आशिकों के साथ भाग गई होंगी.
देश में महिलाओं के साथ प्रतिदिन होने वाली आपराधिक घटनाओं ने एक भय का माहौल पैदा कर दिया है जहां अगर लड़की शाम तक घर ना पहुंचे तो मन में ना जानें कैसी कैसी आशंकाएं आने लगती हैं?
देश में अगर जल्द ही तस्करी, वेश्यावृत्ति और बलात्कार के लिए कोई ठोस और प्रभावी कानून नहीं बना तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे. देश में महिलाओं की तस्करी कर वेश्यावृत्ति का खेल तो बहुत पुराना है पर सरकार और प्रशासन अभी भी नींद से जागने को तैयार नहीं हैं. महिला सशक्तिकरण की जय-जयकार करने वालों को वेश्यालयों में बंद वेश्याओं की कोई परवाह नहीं होती. लेकिन सरकार को समझना ही होगा और लापता होती बच्चियों के मामले को गंभीरता से लेते हुए बेहद कठोर कानून बनाने होंगे. विशेषकर ऐसे कानून जिनसे बेशक मानवाधिकारों को नुकसान हो पर महिला समाज का उत्थान हो.
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