पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद फिलहाल मार्केट में पटाखों का बाजार ठंडा पड़ा हुआ है। वहीं ग्रीन पटाखों को लेकर ज्यादातर लोगों के मन में सवाल है। वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जो पटाखों को छोड़कर फुलझड़ी, अनार या छोटे पटाखे जलाना पसंद करते हैं लेकिन बाकी पटाखों की तरह फुलझड़ी से भी प्रदूषण फैलता है। अगर आप फुलझड़ी को प्रदूषण मुक्त मानते हैं, तो जान लें कि फुलझड़ी के धुएं से भी प्रदूषण फैलता है।
पटाखों के धुएं से रहता है स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा
पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है। हानिकारक विषाक्त कणों के फेफड़ों में पहुंचने से ऐसा हो सकता है, जिससे व्यक्ति को जान का खतरा भी हो सकता है। ऐसे में जिन लोगों को सांस की समस्याएं हों, उन्हें अपने आप को प्रदूषित हवा से बचाकर रखना चाहिए। पटाखों के धुएं से हार्टअटैक और स्ट्रोक का खतरा भी पैदा हो सकता है। पटाखों में मौजूद लैड सेहत के लिए खतरनाक है, इसके कारण हार्टअटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। जब पटाखों से निकलने वाला धुंआ सांस के साथ शरीर में जाता है तो खून के प्रवाह में रुकावट आने लगती है।
दिमाग को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के कारण व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो सकता है। धुएं से दिवाली के दौरान हवा में पीएम बढ़ जाता है। जब लोग इन प्रदूषकों के संपर्क में आते हैं तो उन्हें आंख, नाक और गले की समस्याएं हो सकती हैं। पटाखों का धुआं, सर्दी जुकाम और एलर्जी का काररण बन सकता है और इस कारण छाती व गले में कन्जेशन भी हो सकता है।
धुएं में होते हैं ये हानिकारक तत्व
धूल के कणों पर कॉपर, जिंक, सोडियम, लैड, मैग्निशियम, कैडमियम, सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जमा हो जाते हैं। इन गैसों के हानिकारक प्रभाव होते हैं। इसमें कॉपर से सांस की समस्याएं, कैडमियम-खून की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम करता है, जिससे व्यक्ति एनिमिया का शिकार हो सकता है। जिंक की वजह से उल्टी व बुखार व लेड से तंत्रिका प्रणाली को नुकसान पहुंचता है। मैग्निशियम व सोडियम भी सेहत के लिए हानिकारक है…Next
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