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आधुनिक युग की गंधारी! 30 वर्षों से अपने पति के आंखों की रोशनी है यह कुबड़ी पत्नी

भाव-शून्य इंसान और मशीन में हाड़-माँस और साँसों का एक महत्तवपूर्ण अंतर है. वह भावना ही है जो प्राण युक्त हाड़-माँस के पुतले को इंसान बनाती है. वह भावना ही है जिसके कारण समाज की सबसे छोटी इकाई आपसी एकजुटता के साथ समुदाय और समाज का निर्माण करती है. आज जब मनुष्य संवाद और संवेदनहीनता के चरमोत्कर्ष पर है तब एक ऐसे दम्पत्ति की कहानी मन में भावों के उमड़ने-घुमड़ने का कारण बन सकती है. यह कहानी आत्महत्या को बेहतर मानने वाले लोगों को भी समर्पित है जो छोटी-छोटी सांसारिक समस्याओं से हार मान ज़िंदगी से मुँह मोड़ लेते हैं.


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यह उम्र के 70 साल देख चुके ऐसे दंपत्ति की कहानी है जिनकी अपनी समस्यायें है. ये समस्यायें सामान्य इंसानों की तुलना में अधिक पीड़ादायी है, लेकिन इनकी जीवटता ने इन समस्याओं से पार पा लिया है. 80 वर्षीय पति और 76 वर्षीया पत्नी का यह जोड़ा पिछले 55 वर्षों से एक-दूसरे का हाथ मज़बूती से थामे है.

Inspiring

दक्षिणी चीन के ग्वांगझ़ी प्रांत के डोंगलान गाँव में रहने वाला यह जोड़ा जीवन की हर समस्या को मिलकर सुलझाते हैं. कुबड़ी पत्नी वेइ ग्वुयि अपने नेत्रहीन पति हुआंग फुनेंग के आँखों की रोशनी है जिससे वो सारे संसार को देखता है. 30 वर्ष पहले आँखों की रोशनी खो चुके अपने पति को वह तब से बाँस की एक करची के सहारे सड़क पार कराती है. वह ओस्टियोपोरोसिस की बीमारी के कारण कुबड़ी है.


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अपनी उम्र के दूसरे दशक से पहले ही वैवाहिक बंधन में बँध चुके इस दंपत्ति की कोई संतान नहीं है. ग्वुयि अपनी आँखों-देखी अपने पति को बैठकर सुनाती है. इस शारीरिक समस्या के बावजूद दोनों स्नेहपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं. इनकी कहानी और तस्वीर चीन में प्रेम की मिसाल के तौर पर पढ़ी-देखी जा रही है.Next….


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