‘मर्द को दर्द नहीं होता’ पुरानी हिन्दी फिल्मों में ये डायलॉग देखने आपने भी सुना होगा। फिल्मों से होता हुआ ये डायलॉग हमारी आम जिंदगी में भी कब पहुंच गया हमें पता ही नहीं चला। कई बार हम किसी क्रूर मर्द को देखकर या मजाक में इस बात को कह देते हैं ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ लेकिन हाल ही में ऐसा सर्वे हुआ है जिससे ये फिल्मी डायलॉग झूठ साबित होता हुआ दिख रहा है।
अलग-अलग तरीकों से दर्द को याद रखते हैं मर्द
कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ टॉरंटो मिस्सीसॉगा के अनुसंधानकर्ताओं की इस स्टडी में इस बात को दिखाया गया है कि महिलाएं और पुरुष दर्द से जुड़े अपने अनुभवों को अलग-अलग तरीके से याद रखते हैं। एक तरफ जहां पुरुषों को अपने दर्द भरे अनुभव अच्छी तरह से याद थे वहीं महिलाएं भले ही उस दर्द को पूरी तरह से भूल न पाई हों लेकिन वह कम जरूर हो गया था।
पुराने दर्द को याद करके तनाव में आ जाते हैं मर्द
जब पुरुषों को भी फिर से किसी तरह का दर्द महसूस होता है तो वे उस दर्द को याद कर तनाव में आ जाते हैं और हाइपरसेंसेटिव हो जाते हैं जबकि महिलाएं अपने पिछले दर्द भरे अनुभव को याद कर किसी तरह से तनाव में नहीं आतीं। इस स्टडी को मनुष्यों के साथ-साथ चूहों पर भी किया गया था जिसमें उन्हें एक खास तरह के रूम में ले जाया गया जहां उन्हें हीट के जरिए लो लेवल का दर्द महसूस करवाया गया। जिसमें पुरुषों को अगले दिन महिलाओं की तुलना में ज्यादा दर्द महसूस हुआ क्योंकि उन्हें पिछले दिन का दर्द याद था।
दर्द को इस वजह से याद रखते हैं लोग
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि अगर याद किया गया दर्द किसी तरह के क्रॉनिक पेन के पीछे का ड्राइविंग फोर्स है और हम इस बात को समझ लें कि आखिर लोग दर्द को कैसे याद रखते हैं तो हम दर्द को याद रखने के तरीके के जरिए दर्द से पीड़ित कुछ लोगों की मदद कर सकते हैं…Next
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