देश के पूर्वी राज्यों में चक्रवाती तूफान सुपर साइक्लोन एम्फन का खतरा मंडरा रहा है। 1999 और 1970 में आए साइक्लोन ने भयंकर तबाही मचाई थी। तब 5 लाख से ज्यादा लोग मरे थे। अब फिर से बंगाल की खाड़ी में सुपर साइक्लोन दस्तक देने वाला है। भयंकर तूफानी हवाओं के साथ बारिश से निपटने के लिए एनडीआरएफ ने खास तैयारी की है।
240 किमी प्रति घंटे की रफ्तार में चलेंगी हवाएं
आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि सुपर साइक्लोन सबसे तीव्र चक्रवात है। 1999 के बाद बंगाल की खाड़ी में आने वाला यह दूसरा सुपर साइक्लोन है। उन्होंने बताया कि अभी समुद्र में इसकी हवा की गति 200-240 किमी प्रति घंटे है। यह उत्तर पश्चिमोत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है।
दो बार में 5 लाख से ज्यादा की जा चुकी है जान
भारत में इससे पहले इस तरह का सुपर साइक्लोन वर्ष 1999 में आया था, जिसमें करीब 10,000 लोगों की मौत हुई थी। भारत सरकार ने उसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया था। उससे पहले 3 नवंबर, 1970 को बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में भोला नाम का सुपर साइक्लोन आया था। इसमें करीब पांच लाख लोगों की जान गई थी।
5 जून तक केरल से टकराएगा मानसून
एएनआई के अनुसार मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात के कारण केरल में मानसून के आगमन में थोड़ी देरी की उम्मीद की जा रही है। 5 जून तक मानसून केरल तट से टकराने की संभावना है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक केरल में मानसून देरी से आएगा।
NDRF की टीमें तैनात
एम्फन की तैयारियों को लेकर NDRF के चीफ एसएन प्रधान ने कहाकि ओडिशा में 15 टीमें तैनात हैं। वे जागरूकता ड्राइव, संचार ड्राइव और निकासी का काम कर रहे हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल में 19 टीमें तैनात हैं। 2 टीमों को वहां स्टैंडबाय में रखा गया है। कोरोना महामारी और चक्रवात पर हमें दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
किसी भी स्थिति से निपटने को बैकअप भी तैयार
उन्होंने कहा कि हमने बैकअप में 6 NDRF बटालियन को रखा है। इनमें बटालियन 11, 9, 1, 10, 4, 5 स्टैंडबाय पर हैं। 11 बटालियन वाराणसी में, 9 बटालियन पटना में, गुवाहाटी में 1 बटालियन, विजयवाड़ा में 10 बटालियन, अरक्कोणम में 4 बटालियन और पुणे में 5 बटालियन हैं। उन्हें जरूरत पड़ने पर जल्द से जल्द लाया जा सकता है।..NEXT
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