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महिला के कोख की कीमत क्या हो सकती है

क्या दुनिया में कहीं भी किसी भी मां की कोख का व्यापारिक सौदा हो सकता है? या क्या दुनिया में किसी भी मां की कोख की कीमत महज 6 से 7 लाख रुपए हो सकती है? शायद नहीं, फिर क्यों भारतीय महिलाओं की कोख को व्यापार बना दिया गया है !!.


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 Surrogacy Indiaब्रिटेन के मशहूर अख़बार ‘द डेली मेल’ की वेबसाइट पर ‘सरोगेसी’ (किराए की कोख) के मुद्दे पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में भारत को बेबी फॉर्मऔर बेबी फैक्ट्री जैसे बेहद आपत्तिजनक नामों से पुकारा गया है. यही नहीं, अपनी कोख किराए पर दे रही भारतीय महिलाओं को बेहद गरीब भी बताया गया है.


आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल ही भारत में करीब 2000 बच्चों ने किराए की कोख से जन्म लिया. एक अनुमान के मुताबिक इनमें से आधे बच्चे ब्रिटिश नागरिकों के थे. हालांकि, किराए की कोख से बच्चे पैदा करने वालों में अधिकतर ‘समलैंगिक’ होते हैं और वे अपने बच्चे के लिए स्पर्म या फीमेल एग डोनर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ऑक्टाविया के मामले में ‘एग’ उनका था और ‘स्पर्म’ उनके पति का. यानि इस मामले में मां ने सिर्फ अपनी कोख ही किराए पर दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारतीय महिलाओं के प्रति अपमानजनक बातों और आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए हमारे देश का कानून नहीं जिम्मेदार है? भारत में साल 2002 में सरोगेसी को मान्यता दे दी गई थी. लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई पुख्ता कानून नहीं है. सरोगेसी बिल अगले साल 2013 में संसद में पेश किया जा सकता है.


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बेबी फैक्ट्री या कोख का व्यापार

एक महिला की कोख को बेबी फॉर्म या बेबी फैक्ट्री या कोख का व्यापार जैसे शब्द दिए जा रहे हैं. सवाल यह है कि गरीबी की मजबूरी क्या इस हद तक आ जाती है कि एक महिला अपनी कोख बेचने के लिए मजबूर हो जाती है. यदि एक महिला किसी मजबूरी के कारण कोख को बेचने जैसा कदम उठाती है तो समाज उसे कोख का व्यापार जैसे शब्द दे देता है. सच तो यह है कि यदि यह मान लिया जाए कि महिला ने अपनी कोख को कुछ पैसे के लिए बेचा है तो खरीदने वाला यह क्यों भूल जाता है कि उसने भी किसी महिला की कोख को खरीदा है. आखिरकार जिम्मेदार दोनों ही हैं फिर सिर्फ महिला के लिए कोख का व्यापार करने जैसे शब्द क्यों?


“मैं अपने बच्चे की सरोगेट मां के बारे में न ज्यादा जानती हूं और न ही ज्यादा जानना चाहती हूं. यह एक व्यापारिक रिश्ता है जिसमें मैंने एक गरीब भारतीय महिला की कोख किराये पर ली है. मुझे अपने परिवार के लिए बच्चा मिल जाएगा और गरीब महिला को पैसा.”


 Surrogacy in Indiaयह शब्द उस ब्रिटिश महिला के हैं जिसके बच्चे को जन्म भारतीय महिला दे रही है. उस ब्रिटिश महिला के लिए कोख किराये पर लेना सिर्फ एक व्यापारिक रिश्ता है. यह कैसा व्यापारिक रिश्ता है जिसमें जन्म देने वाली मां अपने बच्चे को अपना बच्चा नहीं कह सकती है ना जन्म लेने वाला बच्चा अपनी जन्म देने वाली मां को मां कह सकता है. समाज पर भी हैरानी होती है कि वह हर चीज की कीमत लगा देता है और अब तो मां की कोख की भी कीमत लगा दी गई है.


यदि सेरोगेसी शब्द से भावनात्मक बातों को निकाल दिया जाए तो यह सच है कि यदि भारतीय महिलाओं को विदेशों में कोख के व्यापार के लिए जाना जाएगा तो वो दिन भी बहुत पास ही होगा जब भारतीय महिलाओं का अपहरण किया जाएगा वो भी कोख को किराये पर लेने के लिए या फिर जबरदस्ती भारतीय महिलाओं की कोख पर अपना हक जमा कर अपना बच्चा पैदा कराने के लिए.


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