बच्चों के खेलने की उम्र में अगर कोई बच्ची न केवल दुल्हन बन जाएं, बल्कि तीन बच्चों की मां भी बन जाएं, वो भी अपने मां-बाप के कारण, तो आपको कैसा लगेगा. वो मुश्किल से 10 साल की ही होगी, जब उसके माता-पिता ने उसे बेच दिया. अब 14 साल की उम्र में तीन बच्चों की मां बन गई है और उसके बाद अपने दुराचारी पति द्वारा छोड़ दी गई .
इस दौरान उसे वेश्यावृत्ति के लिए अपने ही पति द्वारा मजबूर किया गया. उसने अपने दो बच्चों की मौत देखी. जिनमें से एक की हत्या उस मासूम बच्ची के ही सौतेले पिता द्वारा कर दी गई..ये दर्द अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि उसकी अपनी जननी, अपनी सगी मां ने 50,000 के लिए उसे एक से ज्यादा बार बेचना चाहा.
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अपने 15 साल के जीवन में शारदा (बदला हुआ नाम) केवल अपने जिंदा बच्चे के लिए जी रही है. उसके बड़े बेटे की उम्र 3 साल हो चुकी है और अब सरकारी आश्रय स्थल ही उसका घर बन चुका है.पुलिस ने हाल ही में शारदा की मां और सौतेले पिता, जिसने उसके दूसरे दो वर्षीय बच्चे की हत्या की थी, को गिरफ्तार कर लिया है. और अब उसके पति की तलाश की जा रही है.
शारदा की कहानी अकेली की लग सकती है, पर बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले सक्रियतावादी कहते हैं कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सौ से भी ज्यादा बच्चियां इस दलदल का शिकार हैं. सबके नाम भले ही अलग हो पर कहानी सबकी एक सी है. मात्र 15 साल की उम्र में परिपक्वता दिखाते हुए भोपाल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शारदा अपनी जिंदगी के दर्द और मानसिक आघात को बताते हुए कहती हैं कि – ‘कोमल नामक उस आदमी ने एक मंदिर में मुझसे शादी की. कुछ सालों तक मेरी अच्छे से देखभाल करता रहा. पर वक्त के साथ वो पूरी तरह से बदल चुका था’.
उसके दूसरे बच्चे के जन्म के बाद, शारदा के पति कोमल ने उसके ऊपर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वो गांव के दूसरे मर्दों के साथ संबंध बनाएं. पर जब मैं उसके दबाव के आगे झुक गई और विदिशा डिस्ट्रिक्ट के एक आदमी के साथ मजबूरी में संबंध बनाएं तो उस आदमी ने इसके लिए मेरे पति को पैसे दिए. पर जब उसने मुझे दोबारा और लोगों के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया तो मैने साफ इंकार कर दिया और बस उसी दिन से उसके द्वारा यातनाओं का दौर शुरू हो गया और आखिरकार उसने मुझे छोड़ दिया.
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जिसने दूसरी शादी कर रखी थी और उसकी तीन अन्य बेटियां भी थी. शारदा का कहना है- ‘मेरी मां ने भी मुझे एक दूसरे आदमी के साथ जाने को कहा जो 50,000 देने को तैयार था. मगर जब मैनें मना किया तो मेरा सौतेला बाप गुस्सा हो गया और मुझे और मेरे बच्चों को खाना देना बंद कर दिया’. अत्याचारों का सिलसिला चलता रहा और साथ में शारीरिक उत्पीड़न भी. शारदा अपने बेटे को लेकर घर से भाग गई और एक अस्पताल में शरण ली ताकि उसके बच्चे का इलाज हो सके. उसे मजबूरी में अपने दूसरे बच्चे को छोड़ना पड़ा जिसकी हत्या बाद में उसके सौतेल पिता ने कर दी थी.
आपातकालीन केंद्र की इंचार्ज सारिका सिन्हा ने कहा कि वे शारदा को हैदराबाद के शरणागत केन्द्र भेजने की योजना बना रहे हैं जहां वो ट्रेनिंग लेकर आत्म स्वावलंबी बन सकेगी. चाइल्डलाइन एनजीओ की अर्चना सहाय ने कहा कि राज्य के शहरी और ग्रामीण इलाकों में नाबालिगों के साथ शारीरिक उत्पीड़न के केस में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है.
मगर इतने दुख, यातना और पीड़ा सहने के बाद भी शारदा अपने पति को माफ करके अपनाना चाहती है. वो कहती है कि ‘हां ऐसा करने से अगर मेरे बेटे की जिंदगी सुधरती है जो कि उसका भी बेटा है तो मैं उसे माफ करने को तैयार हूं’...Next
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