नवम्बर में जब पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, तो पूरे देश में अफरा-तफरी मच गई थी. एक तरफ लोग इसे सरकार का बोल्ड कदम बता रहे थे, तो दूसरी तरफ लोग इस फैसले की जमकर आलोचना कर रहे थे. नोटबंदी के बाद ऑनलाइन ट्रांसजेक्शन में जमकर इजाफा हुआ. माना जा रहा था कि कैशलेस लेन-देन से भष्ट्राचार में भारी कमी आएगी, लेकिन कुछ महीनों के बाद ही सबकुछ पहले जैसा हो गया, लेकिन एक जगह ऐसी है जहां पूरी अर्थव्यवस्था कैशलेस है. उत्तरी अफ्रीका में अदन की खाड़ी के पास स्थित सोमालीलैंड 1991 में सोमालिया से अलग होकर नया देश बना था.
हालांकि, अब तक किसी देश ने इसे मान्यता नहीं दी है. मगर करीब 40 लाख की आबादी वाला ये देश खुदमुख्तार जम्हूरियत का दावा करता है. सोमालीलैंड बेहद गरीब देश है. यहां से सबसे बड़ा निर्यात ऊंटों का होता है. आधा इलाका रेतीला है. बाकी हिस्सा अक्सर सूखे का शिकार रहता है. नतीजा, सोमालीलैंड में भयंकर गरीबी है. यहां की करेंसी शिलिंग है, जिसकी किसी भी देश में कोई वैल्यू नहीं है. एक अमरीकी डॉलर के लिए आपको 9 हजार शिलिंग के नोट देने होंगे. सोमालीलैंड की शिलिंग के पांच सौ और हजार के नोट चलन में हैं.
आप को एक सिगरेट भी लेनी होगी, तो पांच सौ या हजार का नोट चाहिए होगा. झोला भर सब्जी ख़रीदने के लिए झोला भरकर नोट ले जाने होंगे. अगर सोमालीलैंड कोई कीमती गहने खरीदना चाहता है तो गाड़ी में लादकर शिलिंग के नोट ले जाने होंगे. मुद्रा के अवमूल्यन और करेंसी के रद्दी में तब्दील होने की वजह से सोमालीलैंड में ज्यादातर लोग कैशलेस लेन-देन करते दिखेंगे.
आपको सिगरेट लेनी हो या शराब आप हर चीज का पेमेंट मोबाइल से कर सकते हैं. सोमालीलैंड में आपको भिखारी भी मोबाइल से लेन-देन करते दिखेंगे. वजह ये है कि छोटी-मोटी खरीदारी के लिए भी आपको झोला भर कर नोट चाहिए. जिसे आसानी से ले जाना मुमकिन नहीं है, इसलिए सोमालीलैंड में आज फीसदी कारोबार कैशलेस हो गया है…Next
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