शाम होते ही अंधेरा चारों ओर फैलने लगा था, सड़क पर हर कोई थकान से चूर और दिन भर की झुंझलाहट को दबाए हुए घर पर पहुंचकर दो पल सुकून के बीताना चाहता था, पर यह सड़क थी कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। शहर में हर कोई भीड़ का हिस्सा है लेकिन फिर भी भीड़ को कोसने का मौका नहीं छोड़ता। सामने से आ रही एक आलीशान कार अपनी धुन में लहराती हुई आगे बढ़ रही थी कि तभी एक दूसरी कार ने उस कार को ओवरटेक करके उसकी चाल को धीमा कर दिया।
कार में बैठा लगभग 21-22 साल का युवक पहले तो खिड़की खोलकर कार वाले और कार के मॉडल को एक नजर देखने बाद गुस्से में तमतमा कर बोला ‘अबे ओ सस्ती-सी गाड़ी लेकर खुद को बादशाह समझ रहा है क्या? तुझे मेरी इतनी बड़ी गाड़ी नहीं दिखाई देती ?’ वो गाड़ी वाला बिना कुछ बोले वहां से चलता बना। सड़क पर मौजूद सभी लोग इस नजारे को बड़े ध्यान से देख रहे थे तो कुछ रोज का किस्सा मानकर अपनी बातों में मशगूल हो गए। दूसरी तरफ ऑटोरिक्शा वालों का जमावड़ा लगा हुआ था इतने में उनके बीच एक ई-रिक्शा वाले की एंट्री हुई। उनमें से एक ऑटोवाले को कुछ कदमों पर खुद से आगे खड़ा ई-रिक्शा अच्छा नहीं लगा।
उसने बड़े तल्खी भरे अंदाज में ई-रिक्शा चालक को फटकार लगाते हुए कहा ‘क्या बात है तुड़वाना चाहता है अपना ई-रिक्शा? आराम से चला, आराम से’ ये कहता हुआ वो आगे निकल गया। ई-रिक्शा वाला गुस्से को अंदर दबा कर आगे बढ़ ही रहा था कि इतने में एक साइकिल रिक्शा लहराते हुए ई-रिक्शे से आगे निकलने की कोशिश कर रहा था। तभी ई-रिक्शा चालक की दबी हुई कुंठा फूट पड़ी ‘अबे कहां जाना चाहता है मरना चाहता है? चल निकल यहां से आया बड़ा हीरो बनने’। ये कहते हुए वो आगे बढ़ गया। वहीं आनन-फानन में रिक्शे वाले के मुँह से बस यही शब्द निकल पाए ‘रिक्शा चलाता हूं तो क्या हुआ? मेरी इज्जत तेरी इज्जत से कम है क्या?’
रोजमर्रा की ये छोटी-मोटी छींटाकशी भरी घटनाएं बेशक से आम बात हो चली हो लेकिन इनमें से कुछ घटनाएं हादसों का रूप ले लेती हैं। रोडरेज के बढ़ते मामलों को पढ़कर कभी आपके मन में ये बात आई है कि आखिर ऐसे मामलों में उपजी छोटी-सी बहस, खून खराबे का रूप कैसे ले लेती है। गौर करने की बात यह है आज हम ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है और जब कोई व्यक्ति शरीर, धन-दौलत, शिक्षा, संसाधन या किसी अन्य लिहाज से कम होते हुए भी आगे निकल जाता है तो ये बात हमारे इगो पर गहरी चोट पहुंचाती है।
रोडरेज के मामलों को बढ़ाने में, दूसरों को छोटा और खुद को बड़ा समझने वाली मानसिकता भी एक बड़ी वजह है जैसे सड़क पर अगर किसी के पास बड़ी गाड़ी है तो वह व्यक्ति अपने से छोटी गाड़ी वाले से किसी भी तरह की बहस में पीछे नहीं रहना चाहता उसी तरह ऑटोवाला, रिक्शे वाले को किसी कीमत पर अपने से आगे निकलते हुए नहीं देखना चाहता। कहीं न कहीं अपने से कम रसूखदार व्यक्ति की इज्जत को अपने से कम आंकने की मानसिकता जाने-अनजाने हमारे दिमाग में घर कर गई है।…Next
Read More :
4 मिनट से ज्यादा न लगाएं कानों में हेडफोन, 12 से 35 की उम्र के लोगों को ज्यादा खतरा
अब इतना महंगा नहीं अपने घर का सपना, जीएसटी दरों में कटौती के बाद पड़ेगा ये असर
Read Comments