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भारत से ही जन्मा था लिव-इन-रिलेशनशिप, 8 तरह के विवाहों में से माना जाता है एक…जानिए इस ग्रंथ में इसका उल्लेख

आपको ‘रेड लेबल’ का वो मशहूर विज्ञापन याद होगा, जिसमें शहर में पढ़ाई कर रहे एक लड़के के माता-पिता अचानक उसके किराये के घर में पहुंच जाते हैं. घर में घुसते ही लड़के के माता-पिता के होश उड़ जाते हैं, दरअसल, उनका बेटा एक लड़की के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहा होता है. ये कहानी सिर्फ इस विज्ञापन की नहीं बल्कि समाज की भी है, जहां आज भी लिव-इन-रिलेशनशिप को लड़के या लड़की के चरित्र से जोड़कर देखा जाता है. बल्कि ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप एक टैबू (निषेध) है, जिस तोड़ पाना आज भी आसान नहीं है.



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कुछ लोग बिना शादी के साथ रहने को व्यक्तिगत आजादी से जोड़कर देखते हैं. वहीं दूसरी तरफ अधिकतर लोग इसे धर्म और संस्कृति के विरूद्ध मानते हैं, लेकिन इन दोनों तरह की बहस से परे एक सच ऐसा है, जो बहुत कम लोगों को पता है कि आधुनिक युग में कहे जाने वाले लिव-इन-रिलेशनशिप की उत्पत्ति सदियों पहले होने वाले गंधर्व विवाह से हुई है. असल में ‘मनुस्मृति’ में हिन्दु धर्म में 8 प्रकार के विवाह बताए गए हैं, जिनमें से गंधर्व विवाह एक है.



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क्या है ‘मनुस्मृति’

कहा जाता है कि ‘मनुस्मृति’ की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा के पुत्र मनु ने की थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा ने मनु को धरती पर मनुष्यों के लिए नियम बनाने के लिए भेजा था, जिसके अनुसार हर मानव अपना जीवन निर्वाह कर सके. मनु ने 1000 पन्नों के एक ग्रंथ का सृजन किया, जिसमें मनुष्यों के लिए सामाजिक नियम बनाए गए थे. इस ग्रंथ को ही मनुस्मृति के नाम से जाना जाता है. हालांकि, बदलते वक्त के साथ अधिकतर लोग मनुस्मृति में लिखी बातों को स्वीकार नहीं करते और इसे भेदभावपूर्ण बताते हैं, लेकिन मनुस्मृति के अनुसार हिन्दू धर्म में 8 प्रकार के विवाह बताए गए हैं, जिनमें गंधर्व विवाह भी शामिल है.



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1. ब्रह्म विवाह

इस तरह के विवाह को सबसे उत्तम माना जाता है. जिसमें लड़की के परिवार वाले अपनी ही जाति और वर्ण के अनुसार वर का चुनाव करते हैं. लड़की को जेवर और दो जोड़ी कपड़ों के साथ विदा किया जाता है. इसमें दहेज लेने की मनाही बताई गई है.

2. देव विवाह

इस प्रकार के विवाह में लड़की के परिवारवाले ही लड़की के लिए वर ढूंढते हैं, अपनी बेटी के लिए उपयुक्त वर न ढूंढ पाने की स्थिति में, वे अपनी बेटी का विवाह किसी पुजारी से कर सकते हैं.


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3. आर्श विवाह

इस विवाह में वर कन्या पक्ष वालों को कन्या का मूल्य देकर (गाय, बैल या कीमती सामान) कन्या से विवाह करता है.

4. प्रजापत्य विवाह

कन्या की सहमति के बिना उसका विवाह अभिजात्य वर्ग के वर से कर देने को  ‘प्रजापत्य विवाह’  कहा जाता है.

5. गंधर्व विवाह

परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना या बिना विवाह के साथ रहने को ‘गंधर्व विवाह’ कहा जाता है. जैसे दुष्यंत ने शकुन्तला से ‘गंधर्व विवाह’ किया था. माना जाता है कि उनके पुत्र ‘भरत’ के नाम से ही हमारे देश का नाम ‘भारतवर्ष’ बना.


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6. असुर विवाह

लड़की को खरीदकर विवाह कर लेना ‘असुर विवाह’ कहलाता है.

7. राक्षस विवाह

कन्या की सहमति के बिना उसका अपहरण करके जबरदस्ती विवाह कर लेना या शारीरिक सम्बध बनाने को ‘राक्षस विवाह’  कहा जाता है.

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8. पैशाच विवाह

लड़की के होश में न होने या लाचारी का फायदा उठाकर (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि) उससे शारीरिक सम्बंध बना लेना और उससे विवाह करना ‘पैशाच विवाह’ की श्रेणी में आता है.

मनुस्मृति में लिखे हुए इन 8 तरह के विवाह के बारे में लोगों की अपनी-अपनी राय है, लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि आधुनिक समाज में जहां लिव-इन-रिलेशनशिप को पश्चिमी सभ्यता से जोड़कर देखा जाता है, वो असल में ‘मनुस्मृति’ में हजारों साल पहले ही लिखा जा चुका था…Next


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