हमारे देश में अंग्रेजी एक भाषा नहीं बल्कि स्टेटस सिम्बल है. अंग्रेजी बोलने वालों को ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता है. उन्हें हर तरह से ज्यादा समझा जाता है. आप अपने आसपास के लोगों को देखकर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं.
तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि अंग्रेजी से परे अब हिंदी को फिर से उसका खोया दर्जा मिलने लगा है. लोग हिंदी पढ़ने और लिखने लगे हैं. हिंदी ही नहीं, अब लोग अपनी स्थानीय भाषा में बात करने से नहीं हिचकते. मेट्रो, बस, ट्रेन में आपको अपनी भाषा में बात करते हुए लोग मिल जाएंगे. फिल्मों में क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर देते हुए दर्शकों को जोड़ा जाने लगा है. ये बात यूट्यूब से मिले आंकड़े बता रहे हैं.
हिंदी के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के बढ़े दर्शक
यूट्यूब वीडियो प्लेटफॉर्म का दावा है कि स्थानीय व्यूअरशिप पिछले दो सालों में दोगुनी हो गई है जिसकी वजह से हरियाणवी से लेकर तमिल और तेलुगु भाषाओं से काफी मुनाफा हो रहा है.
भाषाओं की वजह से फिर से चल पड़ा है बाजार
बात करें, भारत की तो केवल हमारे देश में ही यूट्यूब चैनल के सब्सस्क्राइबर 3 लाख से लेकर 8 लाख तक है. हरियाणवी कॉमिडी चैनल नजर बट्टू प्रॉडक्शन्स के पास 6 लाख फॉलोअर हैं और यह स्पॉन्सरों और ऐड्स के माध्यम से हर महीने 3 से 4 हजार डॉलर (करीब 20-25 हज़ार रु) कमा रहे हैं. नजर बट्टू प्रॉडक्शन्स के को-फाउंडर अमीन खान ने कहा, ‘हमने दिसंबर 2015 में इसकी शुरुआत की थी और हमारे पहले विडियो को 25 लाख व्यू मिले और यह वायरल हो गया है. इसके बाद हमने ट्रेंडिंग मुद्दों पर विडियो बनाने शुरू किए. हमने ऑड-ईवन पॉलिसी और सलमान खान पर आए फैसले को लेकर वीडियो बनाए और हमारे 1 लाख सब्स्क्राइबर हो गए, यह बड़ी कामयाबी है’
बड़े बैंड्स अंग्रेजी के बजाय हिंदी और अन्य भाषाओं में बना रहे हैं विज्ञापन
विज्ञापन की बात करें तो कई बड़ी कंपनी ऐसी हैं जो हिंदी में विज्ञापन बना रही हैं. जैसे, हिंदुस्तान यूनिलिवर सिर्फ हिंदी विज्ञापन दिखा रहे थे लेकिन अब उनके पास विभिन्न भारतीय भाषाओं में ऐड बनाने का मौका है….Next
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