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अगर ये होता तो शायद बच जाती मासूम प्रद्युम्‍न की जान

एक मासूम जब स्‍कूल जाना शुरू करता है, तो उसके लिए स्‍कूल सेकेंड होम यानी दूसरा घर होता है। मगर हाल ही घटनाओं को देखें, तो यह साफ कहा जा सकता है कि एक मासूम अपने घर में माता-पिता के साथ जितना सुरक्षित होता है, उतना ही वो स्‍कूल में असुरक्षित है। 8 सितंबर को गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्‍कूल में सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्‍न की गला रेतकर हत्‍या कर दी गई, तो 9 सितंबर को दिल्‍ली के एक स्‍कूल में चौथी कक्षा की छात्रा से रेप हुआ। ये दोनों ही वारदात मानवता को झकझोर देने वाली हैं। इससे पहले भी नामी स्‍कूलों में ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं। प्रद्युम्‍न मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उसके पिता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, हरियाणा सरकार, CBI और सीबीएसई को नोटिस जारी किया। याचिका में मांग की गई है कि स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा के बारे में एक गाइडलाइंस जारी की जाए। उम्‍मीद है कि जल्‍द ही सीबीएसई स्‍कूलों में बच्‍चों की सुरक्षा से संबंधित सख्‍त गाइडलाइंस जारी करेगा। मगर सवाल यह है कि क्‍या गाइडलाइंस के बिना बच्‍चों की सुरक्षा के प्रति स्‍कूलों की कुछ जिम्‍मेदारी नहीं बनती। क्‍या फीस के नाम पर सिर्फ मोटी रकम वसूलना की बड़े स्‍कूलों का उद्देश्‍य है। गाइडलाइंस जो भी जारी हों, लेकिन बच्‍चों की सुरक्षा के लिए स्‍कूलों को अपनी जिम्‍मेदारियां तो निभानी ही चाहिए। रेयान ने अपनी जिम्‍मेदारी ईमानदारी से निभाई होती, तो शायद प्रद्युम्‍न की जान बच जाती।


ryan school


प्रद्युम्‍न हत्‍याकांड के बाद एसआईटी की जांच में सामने आया कि स्‍कूली वाहनों के ड्राइवरों-कंडक्‍टरों के लिए अलग शौचालय की व्‍यवस्‍था नहीं है। कितना शर्मनाक है कि इतने बड़े स्कूल में गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए अलग से शौचालय की व्‍यवस्‍था नहीं है। बच्‍चों और स्‍कूल की सुरक्षा व्‍यवस्‍था के लिए जरूरी है कि स्‍टूडेंट्स, टीचर्स और अन्‍य कर्मचारियों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्‍यवस्‍था हो।


जांच में खुलासा हुआ कि रेयान स्‍कूल की बाउंड्री भी टूटी हुई थी। सुरक्षा की दृष्टि से अतिआवश्‍यक है कि स्‍कूल की बाउंड्री ऊंची, मजबूत और सुरक्षित हो। इससे स्‍कूल में असामाजिक तत्‍व नहीं आ सकेंगे और बच्‍चों के साथ स्‍कूल भी सुरक्षित रहेगा।


सबसे बड़ा मुद्दा होता है वेरिफिकेशन। बिना वेरिफिकेशन किसी को नहीं पता होता कि कोई व्‍यक्ति कैसा है। रेयान स्‍कूल की जांच में सबसे बड़ी खामी यह मिली कि गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के साथ ही कुछ टीचरों का भी वेरिफिकेशन नहीं किया गया है। जरूरी है कि पुलिस वेरिफिकेशन के बाद ही किसी को स्‍कूल में नियुक्‍त किया जाए।


CCTV


जांच में सामने आया कि रेयान स्‍कूल में सीसीटीवी कैमरे लगाने में गड़बड़ी की गई है। सुरक्षा की दृष्टि से स्‍कूलों में पर्याप्‍त संख्‍या में सीसीटीवी कैमरे लगाना प्रबंधन की विशेष जिम्‍मेदारी बनती है। साथ ही उन सीसीटीवी कैमरों का रखरखाव बराबर होता रहे, ताकि कोई खामी आने पर उसे तुरंत ठीक किया जा सके और बच्‍चों की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ न हो।


प्रद्युम्‍न मामले में आरोपी का कहना है कि वह पहले से टॉयलट में था। यानी वहां उसे देखने वाला कोई नहीं था और वह आसानी से टॉयलट में घुस गया। जरूरी है कि स्‍कूल परिसर में हर स्‍थान पर सुरक्षाकर्मी तैनात हों, जो हर गतिविधि पर नजर रख सकें। आवश्‍यकता अनुरूप सुरक्षाकर्मी पुरुष और महिला हो। रेयान स्‍कूल में टॉयलट की तरफ यदि कोई सुरक्षाकर्मी होता, तो शायद आरोपी टॉयलट में नहीं घुस पाता और मासूम प्रद्युम्‍न हमारे बीच होता।


प्रद्युम्‍न की हत्‍या के बाद प्रदर्शन कर रहे आक्रोशित लोगों ने रेयान स्‍कूल के पास स्थित शराब ठेके को आग के हवाले कर दिया। लोगों का आरोप था कि स्‍कूल बस के ड्राइवर-कंडक्‍टर यहां से शराब पीते थे और उसके बाद वाहन चलाते थे। जांच का विषय यह भी है कि एक शैक्षणिक संस्‍थान के आसपास शराब ठेका कैसे चल रहा था। सरकार का निर्देश है कि शैक्षणिक संस्‍थान के आसपास नशे से संबंधित किसी भी वस्‍तु की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। जरूरी है कि इस दिशानिर्देश का सख्‍ती से पालन किया जाए, ताकि स्‍कूल और बच्‍चे सुरक्षित रह सकें।


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