चिकित्सक को भगवान मानने की आस्था अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुयी है. सम्भवत: इनके जैसे चिकित्सक अपने कृत्यों से लोगों के दिलों में इस आस्था की जड़ों को और मज़बूत करते हैं. यह उस चिकित्सक की कहानी है जिसे जब अपने लिये लोगों की जरूरत पड़ी तो अधिकांश ने उनका साथ नहीं दिया. लेकिन आज कष्टदायी परिस्थितियों में भी वह लोगों की मदद करता है. कौन है ये चिकित्सक और क्यों इनके कारण लोग चिकित्सकों को भगवान समझने की आस्था को दिलों से निकाल नहीं पा रहे हैं? जानिये उस चिकित्सक की दर्दनाक और हौंसलों से भरी कहानी…
इंदौर के रहने वाले डॉ. सैनी 19 दिसबंर 2014 को कभी नहीं भूल सकते. मांगलिया चौराहे से गुजरते समय ट्रक ने उन्हें टक्कर मारी. इस हादसे में डॉ. सैनी का एक पैर कट गया. दूर खड़े होकर तामाशाबीनों में से कोई भी सड़क पर दर्द से कराहते सैनी की मदद के लिए आगे नहीं आया. हादसे के कारण उनका पैर कट कर अलग हो गया. उनका मोबाइल वहीं आसपास बिखर गया. किसी से मदद न मिलने पर सैनी ने स्वयं घिसटते हुये अपने मोबाइल के बिखरे पार्ट्स जोड़े. मोबाइल के सारे पार्ट्स जोड़ लेने पर उन्होंने हादसे की सूचना अपने परिवारवालों को दी.
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परिवारवालों ने वहाँ पहुँचकर उन्हें सम्भाला और उपचार के लिये अस्पताल ले गये. पूर्णतया स्वस्थ हो जाने के बाद उन्होंने जिंदगी में चुपचाप बैठ जाने के बदले कुछ करने की ठानी. दुर्घटना के समय लोगों की मदद न मिलने वाली बात को भूलकर वो एक निजी सामाजिक संस्था से जुड़ गये. अब वह केवल 2 रुपये का शुल्क लेकर मरीज़ों का उपचार करते है. उपचार के बाद मरीज़ों को तीन दिन की मुफ़्त दवाई देते हैं. इन्होंने अपनी कार को ही क्लीनिक बना लिया है. चलने-पिरने में परेशानी के कारण ये मरीज़ों की जाँच के साथ उनके लिये दवाईयों की पर्ची लिखते हैं. वर्तमान समय में कुछ चिकित्सकों के गलत कार्यों से लोगों द्वारा उन्हें भगवान मानने की आस्था पर भले ही कुठाराघात हुआ है लेकिन डॉ. सैनी जैसे चिकित्सकों की बदौलत ही चिकित्सा का क्षेत्र आज भी पूर्णत: व्यवसायिक नहीं बन पाया है.Next….
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