कहते हैं वक्त-वक्त की बात होती है. यानि वक्त के साथ किसी के साथ कोई भी घटना घट सकती है. देखा जाए तो ये वक्त का ही खेल होता है कि करोड़ों रुपए के महल में रहने वाला दौलतमंद इंसान भी एक पल में पैसे-पैसे का मोहताज हो जाता है. हमारे आसपास ऐसे कई उदाहरण हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में ऐसे राजघराने भी हैं जो कभी दौलत में खेला करते थे लेकिन आज उनपर वक्त की मार ऐसी पड़ी है कि वो एक-एक रुपए के लिए मोहताज है. आइए, हम आपको बताते हैं ऐसे 7 शाही परिवार के बारे में, जो आज जिदंगी के सबसे बुरे हालातों में जी रहे हैं.
उस्मान अली खान, हैदराबाद के आखिरी निजाम
20वीं शताब्दी में उस्मान अली का शाही परिवार 100 करोड़ रुपए का मालिक हुआ करता था. इनके राजघराने में सोने, चांदी के सिक्के होने के अलावा करोड़ों रुपए के हीरे-जवाहरात की अपार दौलत थी. साथ ही 185 कैरेट हीरे भी इनकी संपत्ति में शामिल थे. जिनकी कीमत करीब करोड़ों रुपए थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि उन दिनों इनकी हरम में 86 रहती थी. जिनसे उन्हें 100 बच्चे थे. 1990 में करीब 400 वारिसों ने उनकी संपत्ति पर क्लेम कर दिया. इसके बाद लंबी चली कानूनी लड़ाई में निजाम अपना सब कुछ खो बैठे.
राजा ब्रजराज क्षत्रिय बिरवार चमूपति सिंह, तिगिरिया के महापात्रा
उड़ीसा के शासक के आखिरी शाही सदस्य. जिनके पास कभी 25 लक्जरी कार होती थी. उनके महल में 30 नौकर रहते थे. कहा जाता है कि उन्हें शिकार का बेहद शौक था और उन्होंने अपने जीवन में 13 चीते 28 तेदुओं का शिकार किया था. आजादी के बाद इन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा और वो 1960 में उनका तलाक हो गया इस दौरान उन्हें अपना करोड़ों का महल बेचना पड़ा. साल 1975 में सरकार ने उनकी बची हुई संपत्ति पर कब्जा कर लिया.
सुल्ताना बेगम, बहादुर शाह जफर के पोते की पत्नी
1980 में सुल्ताना बेगम के शौहर की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उन्हें गरीबी में अपना जीवन बसर करना पड़ा. यहां तक कि उन्हें कोलकत्ता में एक टेंटनुमा घर में रहना पड़ा. आपको जानकर हैरानी होगी कि हीरे, जवाहरात जैसे कीमती दान देने वाले राजशाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुल्ताना बेगम को अपने छह बच्चों के साथ सिर्फ 6000 रुपए महीने की पेंशन में गुजारा करना पड़ता है.
जियाउद्दीन तुसी, बहादुर शाह जफर के आखिरी वारिस
किराए के घर में रहने को मजबूर हुए बहादुर शाह जफर के ये वंशज आज गरीबी में जिदंगी बिताने को मजबूर है. बहुत दुख की बात है कि जिनके महल में सोने,चांदी के सिक्के बिखरे रहते थे वो आज 8000 रुपए महीने की पेंशन के लिए सरकार से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.
टीपू सुल्तान के वंशज
कभी हाथ में तलवार लेकर दुश्मनों पर भारी पड़ने वाले टीपू सुल्तान के वंशज आज रिक्शा चलाने को मजबूर है. कभी सबसे अमीर शासक रहे टीपू के वंशजों के पास एक अच्छी नौकरी भी नहीं है जिससे वो अपना गुजर बसर कर सके. सरकार की ओर से भी इन्हें सिर्फ आश्वासन ही दिए जाते हैं.
राजकुमारी सकीना, अवध महल
अवध की राजकुमारी आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. वो दिल्ली में मालचा महल में रहती है जिसकी हालत आज खड़हर जैसी हो चुकी है. सरकार से करीब 9 साल चली लंबी लड़ाई में उन्हें हर महीने 500 रुपए की पेंशन मिलती है.
उतथादम थिरुनल वर्मा के वंशज, त्रावणकोर के राजा
17वीं सदी में सबसे अमीर शासकों में से एक माने जाने वाले इस शासक का परिवार आज एक-एक पैसे की मोहताजी झेल रहा है. राजा के महल में कभी 50,000 सैनिक रहा करते थे. जिनका खर्चा वो खुद उठाया करते थे लेकिन आज इनका परिवार गुमनामी का जीवन बिता रहा है…Next
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इनके डर से पेड़ों पर जा बैठे जंगल के राजा
इस देश में आम आदमी भी है खास, कमाता है 55 लाख रूपये
ये वो दस देशों की सेना है जिनके कामों पर आप भी कर सकते हैं गर्व
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