‘हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिए, ज़िन्दगी भोर है सूरज-सा निकलते रहिए.
एक ही पांव पर ठहरोगे तो थक जाओगे, धीरे-धीरे ही सही राह पर चलते रहिए.’
जीवन में ऐसे कितने ही पल आए होंगे जब आपको भी ऐसी ही प्रेरणात्मक बातों की जरुरत महसूस हुई होगी. देखा जाए तो हर व्यक्ति खुद को और बेहतर बनाने में पूरी उम्र गुजार देता है. फिर भी किसी न किसी मोड़ पर उसे असफलता का सामना करना पड़ता है. क्योंकि इतिहास में ऐसे किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं मिलता जो जीवन में हमेशा सफल हुआ हो. लेकिन फिर भी हमें अपनी हर हार पर लगता है कि काश! हममें ये कमी नहीं होती तो जीत हमारी मुट्ठी में होती.
लेकिन सच तो ये है जीवन के प्रति आपका नजरिया ही आपकी हार-जीत को परिभाषित करता है. याद रखें जब तक आप खुद हार नहीं मानते जीवन में कोई भी आपको हरा नहीं सकता. औरों से अलग होकर भी कुछ लोग हार मानने वाली मानसिकता को खुद पर हावी नहीं होने देते. औरों से अलग लेकिन सबसे खास, लोगों की मिसाल आप दिल्ली के द्धारका सेक्टर-9 में स्थित केएफसी आउटलेट में देख सकते हैं. जहां पर प्रवेश करते ही आपको खुद-ब-खुद अलग तरह का अनुभव होगा. यहां पर आपको ऐसे होनहार नौजवान युवक-युवतियां काम करते हुए दिखाई देंगे, जो बेशक बोल और सुन नहीं सकते हो लेकिन हाव-भावों से आपकी बातों को बखूबी समझ सकते हैं. द्धारका में स्थित ये अनोखा केएफसी आउटलेट सभी के लिए बेहद खास है.
अपने इस काम से इन्होंने खुद को बताया हुनरबाज
इस केएफसी में नियमित रूप से आने वाली कस्टमर निधि बताती हैं ‘मैं 7-8 महिनों से यहां आ रही हूं, मुझे ऑर्डर करने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होती. मुझे इन लोगों की सबसे अच्छी बात ये लगती है कि इनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है, जिसे देखकर आप नई तरह की ऊर्जा का अनुभव करते हैं’. इस केएफसी की खास बात ये है कि यहां पर 90% ऐसा स्टाफ काम करता है जो बोल और सुन नहीं सकता, जिनमें कैशियर,एग्जीक्यूटिव, क्लीनर सभी की जिम्मेदारी इन खास लोगों ने संभाल रखी है. द्धारका के अलावा वसंतकुंज में भी ऐसा खास केएफसी आउटलेट है जिसमें इन औरों से अलग लेकिन कई मायनों में खास लोगों को आत्मनिर्भर और एक नई पहचान देने के लिए मुख्य रूप से हॉयर किया जाता है…Next
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