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पर्यावरण ही नहीं, पटाखों का आप पर भी पड़ता है सीधा असर, इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा

दिवाली पर पटाखों की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिवाली पर पटाखे जलाने पर रोक नहीं है। लेकिन पटाखे रात 8 से 10 बजे के बीच सिर्फ 2 घंटे के लिए ही जलाए जा सकेंगे, यानी कुछ शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर से बैन हटा दिया है। ऐसे में पटाखों को 2 घंटे तक जलाया जा सकेगा लेकिन इससे अलग अगर सेहत के लिहाज से सोचें तो पटाखे न सिर्फ पर्यावरण के लिए नुकसानदेय है बल्कि पटाखों से निकला धुआं और केमिकल का आपकी सेहत पर सीधा असर पड़ता है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal24 Oct, 2018

 

 

इन बीमारियों का खतरा

अस्थमा
पटाखों को जलाने पर उनसे निकलने वाला धुंआ श्वास के जरिए आपके फेफड़ों तक पहुंचता है और उन्हें प्रभावित करता है। खास तौर से यह आपको अस्थमा का मरीज बनाने में अहम योगदान देता है।

 

स्किन से जुड़ी बीमारियां
पटाखों से निकलने वाला धुंआ और प्रदूषण आपकी त्वचा को प्रभावित करता है और त्वचा संबंधी कई समस्याओं को जन्म देता है। इससे आपको त्वचा की गंभीर समस्याएं या एलर्जी भी हो सकती हैं।

 

माइग्रेन
पटाखों की तेज आवाज आपके स्वभाव पर बहुत असर डालती है। एक समय के बाद आप चिड़चिड़ापन महसूस कर सकते हैं। हो सकता है आपको सिर में तेज दर्द का सामना भी करना पड़े और आप लंबे समय तक सिरदर्द से परेशान रहे, आगे जाकर माइग्रेन के खतरे से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

 

रक्तचाप व अनिद्रा
पटाखों की तेज आवाज और प्रदूध आपको उच्च रक्तचाप का मरीज बना सकता है। इसके अलावा यह आपकी नींद और चैन भी छीन सकता है। हो सकता है आप देर रात तक सो न पाएं।

 

सुनने की क्षमता
पटाखों की तेल आवाजें जितना रोमांच पैदा करती हैं, उतनी ही आपकी श्रवण शक्ति यानि सुनाई देने की क्षमता को प्रभावित करती है। कई बार तेज आवाज से आपके कान सुन्न हो जाते हैं, तो कुछ मामलों में आप बहरे भी हो सकते हैं।

 

 

पूरी दुनिया में पटाखों का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है. दूसरे नंबर पर भारत है। भारत में पटाखों का व्यापार 2600 करोड़ रुपये से ज़्यादा का है। भारत में तमिलनाडु के सिवाकाशी को पटाखा उत्पादन का गढ़ माना जाता है…Next

 

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