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दिल्ली के कई क्षेत्रों में बेंजीन का स्तर दुगुना, जानें क्या है बेंजीन और इसके खतरे

दिल्ली की हवा एक बार फिर से जहरीली हो गई है। ऐसे में लोग सर्दी और प्रदूषण से निपटने की तैयारी करते हुए घर से बाहर निकल रहे हैं।
अगर आपके घर में एयर प्यूरीफायर नहीं है और इंडोर पल्यूशन भी है, तब भी बाहर निकलने से अधिक सेफ आप घर पर ही हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, दिल्ली की हवा में बेंजीन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का बढ़ा हुआ स्तर स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हैं। ये पीएम 2।5 से भी कहीं ज्यादा बुरा असर डाल रही हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal12 Dec, 2018

 

 

दिल्ली की इन जगहों पर ज्यादा खतरा
दिल्ली के ज्यादातर क्षेत्रों में बेंजीन का स्तर दो से तीन गुना ज्यादा है। बेंजीन की मात्रा सबसे अधिक 14।5, जहांगीरपुरी में 13।6, वजीरपुर में 12।9, अशोक विहार में 16।3, रोहिणी में 9।2, सोनिया विहार में 15।2, पूंठखुर्द में 10।7 एमजीसीएम है। जबकि इसकी तय मात्रा सिर्फ 5 एमजीसीएम है।
अगर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की बात करें, तो पंजाबी बाग में 154।9, रोहिणी में 167।7, सोनिया विहार में 143।4, नेहरू नगर में 135।5 एमजीसीएम रहा। जबकि इसकी तय मात्रा 80 एमजीसीएम है। इसके अलावा, पीएम 2।5 का स्तर भी वजीरपुर में 574, अशोक विहार में 575, ओखला फेज-टू में 554, रोहिणी में 642, विवेक विहार में 520 एमजीसीएम दर्ज हुआ, जबकि इसकी सामान्य मात्रा महज 60 एमजीसीएम है।

क्या है बेंजीन
यह एक रंगहीन या हल्के पीले रंग का रसायन है, जो कच्चे तेल, गैसोलिन और सिगरेट के धुएं से पैदा होता है। यह वाष्पीकृत होकर हवा में घुल जाता है। कुछ उद्योगों में बेंजीन को अन्य रसायनों के निर्माण के लिए भी उपयोग किया जाता है।

 

 

 

कैसे बढ़ता है बेंजीन
गाड़ियों के धुएं, गैस स्टेशन व उद्योगों और तंबाकू।
घर में अमूमन बेंजीन का स्तर अधिक होता है, जिसका कारण हैं ग्लू, पेंट, डिटरजेंट।
इंडस्ट्रीज में काम करने वाले लोग इसके संपर्क में सबसे अधिक आते हैं।

 

बेंजीन का असर
सांस के जरिए इसकी अधिक मात्रा शरीर के भीतर जाने के कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों के भीतर असर दिखने लगता है। जैसे थकान, चक्कर आना, दिल की धड़कनें बढ़ना, सिरदर्द, संभ्रम की स्थिति, बेहोशी और यहां तक कि मौत भी।
लगभग सालभर या इससे ज्यादा समय तक इसके संपर्क में आना बोन मैरो पर असर डालता है। जिसके कारण लाल रक्त कणिकाएं घट जाती हैं और एनीमिया हो जाता है।
महिलाओं में प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। मासिक धर्म की अनियमितता और ओवरी का आकार भी घट जाता है…Next

 

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