उनका गुनाह था कि वो स्कूल जाना चाहती थीं, अपने पैरों पर खड़ा होने का उनमें जज्बा था, वह किसी पर निर्भर होकर नहीं बल्कि आत्मनिर्भर होकर जीना चाहती थीं. लेकिन अफसोस कोई था जो ऐसा नहीं चाहता था. वह उन्हें गुलाम बनाकर रखना चाहता था, जो पंख खोलकर उड़ सकती थीं उन्हें सिर्फ अपने इशारों पर नचाना चाहता था. इसलिए उसने एक साथ उन 300 लड़कियों को अगवा कर उन्हें बेचने का फरमान दे डाला. स्कूल जाते समय उन मासूमों को अगवा कर लिया और अब उनके लिए खरीददार ढूंढ़ रहा है.
यूं तो एशियाई देशों में महिलाओं की स्वतंत्रता, उनके भीतर पनप रही आत्मनिर्भर होने जैसी प्रवृत्ति को हमेशा से ही दबाया जाता रहा है लेकिन अफ्रीका का जो चेहरा इस बार सबके सामने आया है वह हिलाकर रख देने वाला है.
नाइजीरिया के एक इस्लामिक टेरोरिस्ट ग्रुप ने स्कूल जाने वाली 300 मासूम छात्राओं को सिर्फ इसलिए अगवा कर लिया है क्योंकि उस ग्रुप के लोगों का मानना है कि लड़कियों का पाश्चात्य शिक्षा ग्रहण करना एक बहुत बड़ा गुनाह है.
बोको हरम (पाश्चात्य शिक्षा वर्जित है) के लीडर अबुबकर शेखाव ने एक वीडियो भेजकर इस बात को कबूल किया है कि जितनी भी लड़कियां गायब हुई हैं उनका अपहरण उसके ग्रुप ने किया है. अल्लाहु अकबर के नारे लगाते हुए और आसमान में गोलियां चलाते हुए उसने अपनी एक वीडियो रिकॉर्ड की है जिसमें उसने अपना यह गुनाह कबूला है.
नाइजीरियाई राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन का कहना था कि किसी भी गिरोह ने इस अपहरण की जिम्मेदारी नहीं ली लेकिन उनके ये कहने के मात्र 24 घंटे के भीतर ही बोको हरम नामक आतंकवादी गिरोह ने लड़कियों को अपहरण कर उन्हें बेचने जैसी बात कबूल कर ली है.
इस वीडियो में अबुबकर का कहना है कि लड़कियों को स्कूल भेजना, उन्हें पढ़ाना-लिखाना बिल्कुल गलत है, इस उम्र में उनकी शादी कर देनी चाहिए और अल्लाह ने उसे उन लड़कियों को बेचे जाने जैसा निर्देश दिया है क्योंकि वह अल्लाह की ही संपत्ति हैं.
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति जोनाथन की पत्नी पेशेंस जोनाथन का कहना है कि किसी भी लड़की के अगवा होने जैसी बात सामने नहीं आई है इसलिए इस वीडियो और अबुबकर शेखाव की बात पर भरोसा करना सही नहीं है.
इससे पहले ये खबर भी आई थी कि लड़कियों को अगवा नहीं बल्कि उन्हें अपनी दुल्हन बनाने के लिए उनके अपहकर्ताओं ने मात्र 12 डॉलर देकर खरीदा है. लड़कियां अगवा हुई हैं या उन्हें बेचा गया है यह बात तो अभी तक क्लियर नहीं हो पाई है लेकिन नाइजीरिया में सरकार की इस असफलता और लड़कियों को वापस लाने जैसी मुहिम के चलते विरोध-प्रदर्शनों का दौर शुरू हो चुका है.
भारत समेत अन्य एशियाई देशों में महिलाओं के उत्पीड़न, उनके मानसिक और शारीरिक शोषण करने जैसी प्रवृत्ति दिनों-दिन बढ़ती जा रही है और स्त्री के प्रति हिंसक होती यही मानसिकता उसके विकास में बाधक साबित हो रही है. एक तरफ तो हम लड़के-लड़कियों के बीच समानता की बात करते हैं, उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर देने की बात करते हैं लेकिन फिर जब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो दोगले समाज का खतरनाक चेहरा सामने आता है. हम कोशिश करने के हजार दावे क्यों ना कर लें लेकिन कभी परंपरा तो कभी धर्म के नाम पर स्त्री शोषण की दास्तां आगे बढ़ती रहती है, जिसका अंत होना अब तो नामुमकिन ही लगने लगा है.
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