आपने किसी ढाबे या चाय की दुकान पर छोटे लड़के को काम करते हुए देखा होगा, जो टेबल साफ करने के अलावा जूठे बर्तन धोने के काम करता है। इन लड़कों को लोग अक्सर ‘छोटू’ कहकर पुकारते हैं लेकिन छोटू दिखने वाले ये लड़के अपने घर के बड़े होते हैं जिन पर जिम्मेदारियों का बोझ होता है।
ऐसे में अपने जीवन से थोड़ा समय निकालकर अगर हम इन बच्चों के लिए कुछ कर पाते हैं, तो समाज से अलग-थलग पड़ चुके इस बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है।
हमारे बीच से ऐसे कई लोग हैं जो बाल मजदूरी कर रहे इन बच्चों को वहां से निकालने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं। ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ को शुरू करने वाले कैलाश सत्यार्थी का नाम इस लिस्ट में सबसे ऊपर आता है। आज World Day Against Child Labour है। आइए, जानते हैं हमलों से लेकर नोबेल जीतने तक की कैलाश सत्यार्थी की कहानी।
26 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़कर शुरू किया ‘बचपन बचाओ आंदोलन’
भारत के मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को पैदा हुए कैलाश सत्यार्थी ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की वजह से चर्चा में आए थे। उन्हें बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ और सभी को शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्होंने पाकिस्तान की मलाला युसुफ़ज़ई के साथ ये नोबेल पुरस्कार साझा किया है।
पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी ने 26 वर्ष की उम्र में ही कॅरियर छोड़कर बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया था। उन्हें बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाकर हजारों बच्चों की जिंदगी बचाने का श्रेय दिया जाता है। इस समय वे ‘ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’ (बाल श्रम के ख़िलाफ़ वैश्विक अभियान) के अध्यक्ष भी हैं।
कैलाश ने किया कई हमलों का सामना
कैलाश सत्यार्थी की वेबसाइट के मुताबिक बाल श्रमिकों को छुड़ाने के दौरान उन पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए हैं। 17 मार्च 2011 में दिल्ली की एक कपड़ा फ़ैक्ट्री पर छापे के दौरान उन पर हमला किया गया। इससे पहले 2004 में ग्रेट रोमन सर्कस से बाल कलाकारों को छुड़ाने के दौरान उन पर हमला हुआ। नोबेल पुरस्कार से पहले उन्हें 1994 में जर्मनी का ‘द एयकनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड’, 1995 में अमरीका का ‘रॉबर्ट एफ़ कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड’, 2007 में ‘मेडल ऑफ़ इटेलियन सीनेट’ और 2009 में अमरीका के ‘डिफ़ेंडर्स ऑफ़ डेमोक्रेसी अवॉर्ड’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं।…Next
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