दुनियाभर में इन दिनों कोरोना वायरस का कहर छाया हुआ है। वहीं, एक और खतरनाक बीमारी को लेकर वैश्विक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें दावा किया गया है कि 5 करोड़ लोग इस खतरनाक बीमारी के शिकार हैं। इस बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए सामान्य जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में।
काम करना बंद कर देता है दिमाग
वैश्विक स्वास्थ्य संगठन WHO ले एपीलेप्सी डे पर बीमारी से संबंधित आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक दुनियाभर की 70 फीसदी आबादी एपीलेप्सी यानी मिरगी की बीमारी से पीडि़त है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों का दिमाग सामान्य तरह से काम नहीं करता है। इस वजह से इसे दिमागी बीमारी के नाम से भी जाना जाता है।
गड़बड़ा जाता है ब्रेन का न्यूरालॉजिकल सिस्टम
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेन का न्यूरालॉजिकल सिस्टम इस बीमारी के कारण कमजोर हो जाता है। इस वजह से पीडि़त व्यक्ति के सोचने और समझने की क्षमता पर असर पड़ता है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक दुनियाभर में 5 करोड़ लोग इस खतरनाक बीमारी से जूझ रहे हैं।
मरीज को दौरे और झटके आते हैं
एपीलेप्सी यानी मिरगी की बीमारी से पीडि़त मरीज को किसी भी वक्त दौरे आने लगते हैं। इस अवस्था में मरीज का अपने शरीर और दिमाग पर कंट्रोल नहीं रहता है। समय पर उपचार और देखरेख नहीं मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। चिकित्सकों के मुताबिक ऐसे मरीजों को नियमित उपचार और दवाओं के जरिए ठीक किया जा सकता है।
ट्रीटमेंट गैप से समस्या बढ़ रही
WHO के मुताबिक इस बीमारी का इलाज करीब 2 साल तक चलता है। उपचार में लापरवाही मरीज को नुकसानदायक साबित हो सकती है। इस बीमारी से सबसे ज्यादा पीडि़त लोग मध्यम आय वर्ग वाले देशों में हैं। यहां ज्यादातर मरीज कुछ दिन उपचार के बाद आराम मिलने पर ट्रीटमेंट में गैप कर देते हैं।…NEXT
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