जीव विज्ञानियों को सरोगेसी से जानवर पैदा करने में कामयाबी हासिल हुई है। यह पहली बार है कि सरोगेसी के जरिए दो चीता बच्चों को जन्म दिया गया है। यह कमाल ओहियो के कोलंबस जू के जीव विज्ञानियों ने कर दिखाया है। इसे जीव विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इस सफलता से विलुप्त हो रहे जीवों को बचाने की दिशा में क्रांति आने की बात कही जा रही है।
कोलंबस जू में जन्मे बच्चे
अभी तक किसी व्यक्ति को संतान हासिल करने के लिए सरोगेसी की मदद लेते देखा और सुना गया था, लेकिन अब इस विधि के जरिए जानवरों को पैदा करने में कामयाबी हासिल हुई है। सीएनएन की खबर के मुताबिक यूनाइटेड स्टेट के ओहियो में कोलंबस चिडि़याघर में 19 फरवरी को दो चीता के बच्चों को सरोगेसी के जरिए सफलतापूर्वक जन्म दिया गया है।
विलुप्त होते जीवों को बचाया जा सकेगा
स्मिथसोनियन नेशनल जू के वैज्ञानिकों के अनुसार सरोगेसी के जरिए चीता के दो बच्चों को पैदा करने में कामयाबी हासिल हुई है। चीता के दोनों बच्चे और सरोगेट मदर पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह विलुप्त हो रहे जीवों को बचाने की दिशा में बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसे जीवों को बचाने के लिए एक नई क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है।
आईवीएफ विधि से बना भ्रूण
नेशनल जू के अनुसार स्मिथसोनियन कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट और कोलंबस जू के वैज्ञानिकों ने टेक्सास के वाइल्ड लाइफ सेंटर में रहने वाले एक नर चीता के शुक्राणु संग्रहित किए थे। नवंबर में आईवीएफ विधि से शुक्राणुओं को साढे़ 6 साल उम्र की मादा चीता किबीबी के अंडाणुओं में फर्टिलाइज किया गया। फर्टिलाइजेशन के बाद बने भ्रूण को 3 साल उम्र की सरोगेट मादा चीता इज्जी के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया गया।
दो चीता के बच्चों का जन्म
इसके बाद जीव वैज्ञानिकों ने इज्जी को कोलंबस जू में रखा और उसकी 3 माह तक निगरानी की। 3 माह गर्भधारण के बाद पिछले दिनों 19 फरवरी को इज्जी ने दो चीता बच्चों को जन्म दिया। दोनों चीता बच्चे, सरोगेट मदर चीता और बायोलॉजिकल मदर चीता पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। दो चीता बच्चों को सरोगेसी से जन्म देने में सफलता मिलने को बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
3 बार असफल वैज्ञानिक चौथी बार कामयाब
नेशनल जू और कोलंबस जू के वैज्ञानिकों के अनुसार यह पहली बार है जब किसी जानवर को सरोगेसी के जरिए पैदा किया गया है। उनके अनुसार इससे पहले तीन बार यह कोशिश की जा चुकी है, लेकिन सफलता अब हाथ लगी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक विलुप्त हो रहे जीवों को बचाए रखने की दिशा में यह उपलब्धि एक क्रांति की तरह काम करेगी।…NEXT
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