दुनियाभर में शौचालय को लेकर अवेयरनेस फैलाई जा रही है ताकि लोगों को बीमारियों से बचाया जा सके। इसके लिए 19 नवंबर को वैश्विक स्तर पर वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जाता है। सबसे पहले मोहनजोदाड़ो में ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने के प्रमाण मिलते हैं। यहां पर ही शौच के लिए सही व्यवस्था बनाए जाने की बात भी सामने आई है। लेकिन मॉडर्न शौचालय को सबसे पहले इंग्लैंड के एक विद्वान ने बनाया था।
मोहनजोदाड़ो में विश्व का पहला ड्रेनेज सिस्टम
2500 ईसा पूर्व से पहले तक लोग पूरी तरह से खुले में शौच करते थे। तब लोग जंगलों, नदियों, तालाबों के किनारे शौच के लिए जाते थे। सुलभ इंटरनेशनल टॉयलेट म्यूजियम के मुताबिक 2500 ईसा पूर्व में मोहनजोदाड़ो में ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने के प्रमाण मिले हैं। उस वक्त पर लोग अपने घरों का कचरा सड़क पर फेंका करते थे। बीमारियों के बढ़ने पर जल निकासी और शौचालय की व्यवस्था के लिए ड्रेनेज सिस्टम बनाया गया। यह विश्व का पहला ड्रेनेज सिस्टम माना जाता है।
महिला पुरुष के लिए शौच का स्थान तय
1000 ईसा पूर्व में बहरीन आईलैंड और अरब की खाड़ी में आने वाले देशों और बस्तियों के प्रभावशाली लोगों ने अपने परिजनों के लिए शौच के लिए व्यवस्था को स्थापित करने की जरूरत समझी। इस दौरान महिला और पुरुषों के लिए जगह तय की गई जहां वे शौच के लिए जाने लगे। मोहनजोदाड़ो के ड्रेनेज सिस्टम को यहां के लोगों ने और आगे तक बढ़ाया और शौचालय की शुरुआत की। 1214 ईस्वीं में यूरोप में आम लोगों के लिए भी शौच के लिए जगह निर्धारित की गई।
सर जॉन हैरिंग्टन ने शौचालय बनाकर क्रांति ला दी
1596 ईस्वीं में मॉडर्न शौचालय को ईजाद किया गया। इंग्लैंड के बड़े विद्वान लेखक और अनुवादक सर जॉन हैरिंग्टन ने मॉडर्न शौचालय को ईजाद कर क्रांति ला दी। जॉन हैरिंग्टन ने शौच के लिए बैठने के पॉट को तैयार किया। इस शौच व्यवस्था के बनने के कारण गंदगी से होने वाली हैजा, कॉलरा जैसी महामारियों में कमी देखी गई। इसके बाद से लगभग हर संभ्रांत परिवार में एक शौचालय बनाए जाने की प्रथा शुरू हो गई। 1668 में पेरिस के पुलिस कमिश्नर ने एक आदेश पारित करते हुए हर किसी के घर में शौचालय बनाने की व्यवस्था लागू कर दी।
420 करोड़ लोगों के पास शौचालय नहीं
18वीं सदी में स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जोरदार विकास हुआ। इस दौरान शौचालयों, मूत्रालयों और स्नानघरों को आम जनता के लिए सार्वजनिक स्थानों में बना दिया गया है। यूनीसेफ के मुताबिक पिछले 4 सालों में दुनियाभर के 7 करोड़ लोगों को शौचालय की सुविधा मुहैया कराई गई है। इसके अलावा 51000 स्कूलों में शौचालय बनाए गए हैं। बावजूद इसके अभी तक दुनियाभर के 420 करोड़ लोग खुले में शौच करने जाते हैं। वर्ल्ड स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के हर व्यक्ति को 2030 तक शौचालय मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है।…Next
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