युवा शक्ति किसी भी देश की आर्थिक और राजनीतिक तस्वीर को बदलने और संवारने में अहम कारक होती है. एक ऐसी शक्ति तो तख्ता पलट के साथ-साथ हर वह काम कर सकती है जिसे कई बार लोग नामुमकिन कहते हैं. युवा शक्ति एक हवा की तरह होती है जहां से बयार बही वहीं हो लिए. लेकिन यही शक्ति जब अनुचित दिशा में बहने लगती है तो कभी-कभी प्रशासन और सरकार के लिए मुसीबतें भी खड़ी कर देती है.
अभी हाल ही में बरेली में आयोजित आईटीबीपी की भर्ती के दौरान युवाओं में रोष का एक छोटा सा रुप देखने को मिला जिसका परिणाम हुआ कई लाखों की सरकारी संपत्ति का नुकसान और उससे कहीं ज्यादा दर्जनों युवाओं की मौत. भर्ती में गए युवा प्रशासन की व्यवस्था से नाखुश थे और उसी में कुछ उग्र युवाओं ने पेट्रोल पंपों और गाड़ियों को अपना निशाना बना सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाया. कहानी इसके बाद भी रुकी नहीं. युवा अभ्यर्थी जब वापस आ रहे थे तब ट्रेन की छत पर बैठकर यात्रा करने की वजह से कई छात्रों की मृत्यु हो गई और इससे एक बार फिर युवाओं का गुस्सा भड़क उठा. युवाओं ने फिर ट्रेन में आग लगा दी और दो डिब्बों को आग के हवाले कर दिया.
यह घटना मात्र एक उदाहरण है और समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे साफ होता है कि युवा ही आज सबसे बड़ी ताकत हैं और अगर इनसे उलझा जाता है तो परिणाम सही और गलत दोनों हो सकते हैं. पर आज के युवा बार-बार अपने अधिकार के नशे में अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं. वह अपनी आजादी को अपना हक बताते हैं पर उस आजादी का दुरुपयोग करते समय वह भूल जाते हैं कि इससे वह किसी और के अधिकारों का हनन कर रहे हैं.
आज के युवा लिव इन और गे संस्कृति जैसे समाज विरोधी कृत्यों का समर्थन करते हैं पर जब इन्हीं अधिकारों की वजह से वह किसी कानूनी मामलें में फंस जाता है तो उसे कानून की याद आती है और वह तब सोचता है कि क्या वाकई आजादी अच्छी है या संस्कारों की गिरफ्त में रहना. युवाओं में अधिकारों का भूत डालने के पीछे जिम्मेदार है चमकदार सा दिखने वाला पश्चिमी सभ्यता का हाथ. आज युवा अपने अच्छें कामों से ज्यादा अपने बुरे कामों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. समाज के तथाकथित जानकार तो युवाओं को देश के लिए खतरनाक भी बताने लगे हैं.
आज दुनिया में सबसे अधिक युवाओं की संख्या भारत में है और इसी के दम पर भारत विकसित देशों में शामिल होने का सपना देख रहा है. और अगर विकास की लहर में युवाओं को मौका मिलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब विश्व में सबसे अधिक कार्यशील जनसंख्या भारत की ही होगी और सब जगह भारतीय युवाओं का डंका बजेगा. सही मार्गदर्शन और नेतृत्व के साथ युवाओं को आगे बढ़ने की जरुरत है. इसके लिए जरुरी है सरकार के साथ समाज की सबसे छोटी इकाई यानि परिवार से ही युवाओं को सही मार्गदर्शन मिले, सही जानकारी मिले और आगे बढ़ने का हौसला मिले.
Read Comments