“उठा कदम अपने लिए समाज में बदलाव तुझे ही करना होगा”
हमारा समाज बहुत आगे बढ़ रहा है. दुनिया में हर जगह विकास हो रहा है. अमेरिका हो या भारत या पाकिस्तान हो विकास का नाम आज हर जगह बड़े जोश के साथ लिया जा रहा है. पर हम कौन से विकास की बात कर रहे हैं जहां विकास को केवल पुरुष के नाम के साथ जोड़ा जा रहा है और महिलाओं का विकास बस नाम के लिए रह गया है. सोचिए जरा जब नौ साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया होगा और जब उस बच्ची के घर वालों को इन्साफ का इंतजार करते हुए उनके जीवन के 20 वर्ष बीत गए होंगे. सुनने में भी डर लगता है कि ना जाने कैसे उन लोगों ने वो 20 वर्ष बिताए होंगे. ऐसी एक घटना नहीं है जो महिलाओं के साथ घटी हो और भी ना जाने ऐसी कितनी घटनाएं होंगी जो आपके दिल को दहला देंगी.
आपकी नजरों में किसी रिश्ते को तोड़ने की कीमत क्या होती होगी ज्यादा से ज्यादा दुख और निराशा में अपना पूरा जीवन बिता देना. पर अब आपको डर के साथ-साथ धक्का भी लगेगा क्योंकि एक महिला ने रिश्ता तोड़ने की कीमत में अपनी आंखें गंवाई हैं. जिस दिन उसने सोचा कि वो अपने पति के अत्याचार और नहीं सह सकती उस दिन उसने अपने पति से अलग होने का फैसला कर लिया. फिर क्या था उसे फैसला करने की सजा सुनाई गई और सजा में जीवन भर का अंधापन, पूरे शरीर पर तेजाब के दाग दिए गए. कभी किसी महिला ने तो अपने पति को रिश्ता तोड़ने की ऐसी सजा नहीं दी होगी.
क्या महिलाओं के विकास के बिना संपूर्ण विकास संभव है
हम बात करते हैं कि विकास करना है और समाज को बदलना है पर ‘क्या महिलाओं के विकास के बिना संपूर्ण विकास संभव है. नहीं विकास का अर्थ समाज में रहने वाले सभी वर्गो के विकास से संबंधित होता है. हम शायद यह सोचने लगे हैं कि महिलाओं का विकास से कोई नाता नहीं हैं पर यह सोचना गलत है क्योंकि महिलाएं भी समाज का ही एक हिस्सा हैं जिनके बिना विकास संभव नहीं है. सोचिए जब आपके शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होता है या कोई हिस्सा खराब हो जाता है तो आप क्या अपने आपको पूर्ण रूप से स्वस्थ कहेंगे. इसी तरह वो समाज भी लंगड़ा है जहां महिलाएं विकास का हिस्सा नहीं हैं.
मानसिक सोच छोटी है समाज के झूठे रक्षकों की
पुरुष चाहे कितना भी कह ले कि हम तो चाहते हैं कि महिलाएं विकास करें पर महिलाओं को भी अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए. कुछ पुरुष कहते हैं कि महिलाएं केवल घर के काम के लिए होती हैं और सही रूप में उनकी जिम्मेदारी घर ही है. उन पुरुषों को समझना होगा कि महिलाओं के विकास का मतलब उन्हें केवल ऑफिस भेजना ही नहीं है. महिलाओं के विकास से मतलब उस विकास से है जहां वो अपनी बातों को खुलकर सामने रख सकें, जहां वो अपने लिए जरूरी फैसले ले सकें और उनकी जिन्दगी में उनका उतना ही हक हो जितना पुरूष का अपनी जिन्दगी पर होता है.
क्या महिलाएं अपने लिए आवाज उठाना नहीं चाहतीं?
अगर आज हर बात पर गहराई से चिंतन किया जाए तो सच सामने आता है जिसे जानने के बाद चिंतन और गहरा हो जाता है. कुछ पुरुष जो यह कहते हैं कि महिलाएं खुद के विकास से डरती हैं शायद यह बात कुछ हद तक सही हो सकती है पर सच तो यही है कि महिलाएं खुद के विकास से डरती नहीं हैं बल्कि उनके ऊपर उन्हीं पुरुषों का दबाव होता हैं जो समाज के रक्षक बनते हैं और महिलाओं को समाज के विकास की बाधा समझते हैं.
संकल्प कीजिए कि “अब अपने फैसले मैं खुद लूंगी”
क्या सही है क्या गलत है बचपन से ही आपको भी सिखाया गया है तो फिर आपके लिए फैसले लेने का हक किसी और को क्यों है? हां, किसी से राय लेना गलत नहीं है पर किसी पर अपनी राय थोप देना गलत है जो अकसर सिर्फ महिलाओं के साथ होता है और यह होता भी रहेगा जब तक महिलाएं अपने लिए आवाज उठाना शुरू नहीं करेंगी. महिलाओं को याद रखना होगा कि अपने लिए कदम खुद उठाए जाते हैं कोई भी आपके जीवन में बदलाव के लिए मदद नहीं कर सकता है.
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