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भारतीय ग्रंथो में विस्तार से लिखा है की दैत्यों – असुरों द्वारा जब जब इस पृथ्वी पर अत्याचार या अधर्म किया गया तब – तब देवताओं के द्वारा उनको नष्ट करने के लिए नारी रूप में देवी शक्ति का निर्माण किया गया या यूँ कहिये की शक्ति रूप में नारी का उदय हुआ और इन्ही दैवी शक्तियों ने माँ दुर्गा के रूप में या काली माँ के समय समय पर अत्याचारियों का विनाश किया जो भारतीय जन मानस में आज भी पूजनीय हैं ?
अगर हम आज के सन्दर्भ में देखें तो क्या यह आश्चर्य नहीं होगा की हमारे देश में नारी रूप में रूपम पाठक का इतना रौद्र रूप हो सकता यह एक चिंता का विषय तो अवश्य हो सकता है—- बिहार के पूर्णिया शहर की घटना से तो ऐसा ही प्रतीत होता है — सुशासन के शिल्पी श्री नितीश कुमार के बिहार राज्य के शासन में भागीदार एक ऐसी राजनितिक पार्टी जो अपने आपको “पार्टी विद डिफ़रेंस” अर्थात सबसे अलग पार्टी होने का दवा करती है और बिहार के सुशासन का आधा भार स्वयं वहन कर रही है उसके चार बार के विधान सभा के निर्वाचित लोक प्रिय सदस्य श्री राज किशोर केशरी को उनके द्वारा प्रताड़ित एक महिला श्रीमती रूपम पाठक द्वारा 4 जनवरी 2011 को दिन दहाड़े हजारो व्यक्तियों की भीड़ के सामने चाकू मार कर जान से मार दिया गया |
शायद भारत में एक मात्र दुखद घटना हो सकती है जिसमे एक अबला ( जिसमे बल न हो ) कही जाने वाली 40 वर्षीया अधेड़ महिला ने बिहार के पूर्णिया शहर के लोकप्रिय विधायक श्री राज किशोर केशरी को दिन के उजाले में भीड़ के सामने जान से मार दिया ? यह घटना इस ओर भी संकेत करती है कि बिहार में आज भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है केवल शासन के बल पर कुछ आंकड़ो को सही दिखाकर या मिडिया को मैनेज करके सुशासन नहीं आ सकता या पर्दा ड़ाल कर सब गंदगी को नहीं छिपाया जा सकता नहीं तो क्या कारण है की अबला कही जाने वाली नारी को ऐसा जघन्य अपराध करने के लिए मजबूर होना पड़ा —- यह इस ओर इंगित करता है की है की सुशासन का ढोल पीटने के लिए घटनाओं को छुपाया जाता है जैसा की उक्त्त महिला के सन्दर्भ में हुआ है – चूँकि महिला को जब लगा की शासन में बैठे लोग उस नालायक विधायक की करतूतों को बढ़ावा दे रहें हैं और उस नरपिशाच व्यक्ति के हाथ जब महिला की बेटी की ओर बढ़ने लगे तो उसने ऐसा जघन्य कार्य करने की ठानी और कर भी दिया |
हालाँकि यह दुर्भाग्य पूर्ण घटना दुखदायी एवं पुरुष जाती खासकर राजनितिक व्यक्तियों को शर्मसार करने वाली घटना है और सभी राजनितिक व्यक्तियों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा की वह सार्वजानिक जीवन में कितने ईमानदार-चरित्रवान रह सकते वहीँ दूसरी ओर महिला के साहस को भी नमन करने को मन चाहता है मुझे डर है की कहीं यह दुर्घटना महिलाओं में उत्प्रेरक का काम न करे और सताए जाने पर अगर प्रत्येक महिला ऐसा ही सोचने लगे तो फिर ऐसी राजनीती का तो भगवान् ही मालिक है — फिर भी रूपम पाठक तुझे सलाम !
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