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एक वकील की फितरत ??????(दलील)

पाठक नामा -
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एक वकील की फितरत ??????(दलील)
एक वकील की फितरत ??????(दलील)

यूँ तो वकील वकालत करने वाला यानि अधिवक्ता बहुत अधिक बोलनेवाला, एडवोकेट एडवोकेसी करने वाला मुकदमे लड़ने वाला अर्थात एक पेशेवर व्यक्ति होता है (मेल फीमेल कोई भी होसकता है) जो केवल कानून की किताबो और अपनी वाकपटुता के बल पर किसी अपराधी को निर्दोष और निर्दोष को अपराधी प्रमाणित करने की क्षमता रखता है और मनचाही फीस की रकम मिल जाने पर तो अपनी क्षमता को दिखाने में प्रांगत होते ही हैं ?.

अब कैसा संयोग है कि लोकसभा के चुनाव में पराजित होने बाद भी भारत सरकार का शासन भी ऐसे ही एक वकील महोदय के सहारे ही चल रहा है ? क्योंकि यही वकील महोदय कभी गुजरात में चुनाव संयोजक बन कर तीन बार चुनाव जितवाकर किसी को मुख्य मंत्री बनने में सहयोग कर चुके हैं ! और अब केंद्र की सत्ता में अपने गुजराती मित्र की सहायता ही नहीं तीन तीन महत्वपूर्ण मंत्रालय भी संभाल रहे है ? लेकिन कोई वकील जब नेता बन जाता है और फिर मंत्री वह भी शीर्ष मंत्रालय का तो फिर क्या कहना ? अपनी इसी विशेषता के बल पर देशकी तरक्की का झंडा भी विदेशों में ऊँचा उठा रखा है भले ही देश में 18 माह के शासन के बाद सरकार की कुछ विफलताओं के संकेत साफ़ दिख रहे हों ? अब अगर बिहार (पटना) के किसी ऐसे व्यक्ति जो अपने अभिनय की बुलंदियों को आसमान के बराबर करके केवल देश सेवा के जज्बे के साथ राजनीती में कदम रखता हो और सफल भी जाता है उसको वकील महोदय नैतिकता का पाठ पढ़ाने की कोशिस करे तो इसको कोई क्या कहेगा ? ! लेकिन राजनीती की परिभध भी कितनी अजीब चीज है अपने लिए कुछ और दुसरो के लिए कुछ और ?

ब्लैक मनी को बाहर निकालने की जो स्कीम वकील महोदय के माध्यम से सरकार ने बनाई थी उसका जो हाल हुआ है वह सबके सामने है ! विदेशों में जमा काला धन केवल 4100 करोड़ रुपया घोषित किया जिसका 60 प्रतिशत 2424 करोड़ सरकार को टेक्स के रूप में मिल गया ! लेकिन इशी अवधि में दिल्ली के एक राष्ट्रियकृत बैंक के माध्यम से 6100 करोड़ रुपया दाल और ड्राई। फ्रूट के आयत के नाम पर विदेश में भेज दिया गया जबकि कोई सामान आया ही नहीं ? जबकि लाखो हजार टन दाल जमाखोरों द्वारा देश में ही छुपा कस्र राखी गई है ? सरकार की कार्यवाही के बाद अब तक 88 हजार टन दाल ही जब्त की जा सकी है क्या इसका कुछ रिश्ता विदेश में भेजे गए पैसे के साथ बनता है अथवा नहीं इस पर सरकार का मौन बहुत भ्रम पैदा करता है ? रिश्ता तो बनता ही है क्योंकि विदेश (हांगकांग) में धन इम्पोर्ट के नाम पर भेज गया है उसकी जिम्मेदारी केंद्र की सरकार की है और जो कालाबाजारी के लिए दाले गोदामों में छुपा कर रखी गई है वे राज्य सरकार का विषय है ? लेकिन वकील साहब का तर्क है की अब दाल की कीमत कम हो जायेगी ? उनकी दलील का जवाब नहीं ! बजरंगी भाईजान अब कम होने से क्या होगा लुटने वाले लुट गए और लूटने वाले मालामाल हो चुके है 6100 करोड़ रुपया काला धन बन कर विदेश जा चूका है ??क्योंकि देश कानूनी दांव पेचों से चलाने की कवायद की जा रही है
देश में डेंगू की तरह फ़ैल रही सरकारी अशहिष्णुता की घटनाएं स्वयं प्रबुद्ध एवं सम्मानित बुद्धिजीवियों , वैज्ञानिकों, कलाकारों , साहित्यकारों को उद्धेलित कर रही हैं और वह व्यथित होकर
एस पी सिंह , मेरठ ।

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