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काला धन

पाठक नामा -
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मोदी भक्तों के लिए वयोवृद्ध पत्रकार ने दिखाया आइना , वैदिक जी को यह समझना चाहिए कि काले धन का एक कीड़ा था जो नरेंद्र मोदी, रामदेव, एल के आडवाणी, राजनाथ, सुषमा स्वराज और न जाने कितने लोगो के दिमाग में घुसा हुआ था लेकिन सत्ताप्राप्ति के बाद शायद वह मर गया है या विलुप्त हो गया है या यह समझ में आ गया है कि चुनाव बिना काले धन के लड़ा ही नहीं जा सकता ? तो ये कैसे बताएँगे कि चुनाव में पैसा कहाँ से और कितना काला धन खर्च किया है ? क्योंकि स्वयं वर्तमान प्रधान सेवक जी ने चुनाव के दौरान 450 से अधिक पब्लिक मीटिंग और रैलियां की थी उसमे खर्च हुआ धन किसका था और कहाँ से आया था निश्चित ही पार्टी ने फण्ड उपलब्ध कराया होगा और पार्टी का कोई व्यापर तो है नहीं तो पार्टी को धन दान में ही मिला होगा और भारत के व्यापारी इतने धर्मात्मा है की पत्थरों के भगवानो पर करोड़ों रुपया चढ़ावे में चढ़ा देते हैं? अब हमको तो मालूम नहीं की ये पैसा काला होता हस या सफ़ेद होता है ये तो बड़े लोग और धनवान लोग ही बता सकते है ? लेकिन हमे एक बात मालूम है की एक रूपये के लेनदेन में भी मर्डर हो जाते है हैं। अब यह समझ अधिक मुश्किल नहीं होना चाहिए कि लोग क्यों राजनितिक पार्टियो करोड़ों रुपये का दान देते है है निश्चित ही व्यापारी व्यापर करते है ? जैसे श्री राम भगवान् ने जब सरयू पार करने पर केवट को उसकी मजदूरी देनी चाही तो केवट ने उनसे हाथ जोड़कर कहा भगवन मैं आपसे उतराई कैसे ले सकता हूँ हम दोनों का कार्य एक ही है मैं यहाँ लोगो को अपनी नाव द्वारा सरयू पार करवाता हूँ आप वहां बैकुंठ धाम में लोगो को पार करवाते है इस लिए महाराज जब मैं आपके धाम आऊँ तो आप मुझे भी पार करवा देना ।हमे तो लगता है की व्यापारी और नेता मिलकर ये काले धंधे का व्यापर कर रहे है जब नेताओं को पैसा चाहिए ये व्यापारी उनको धन उपलब्ध करत्ते है और बदले में व्यापारियों काला धन कमाने में सहायता करते हैं ? कहाँ है बाबा राम देव जो अपनी लंगोटी फाड़ कर चिल्लाते हुए कहते थे विदेशो में 4 लाख हजार करोड़ काला धन जमा है ? अब उनकी बोलती ही बंद है ? प्रधान सेवक के कहने ही क्या उनके लिए तो यह चुनावी जुमला था ? लेकिन हमे लगता है कि अगर काला धन रखने वालों की पोल खुलेगी तो नेता कब बचेंगे ? एस.पी.सिंह, मेरठ

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