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खामोस भ्रष्टाचार चालू है

पाठक नामा -
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भारत हमारा देश है तो विभिन्न मत के मानाने वाले लोगो का विभिन्न धर्म व जाति के लोग आपस में मिल्जुल कर भी रहते है कभी-२ धर्म के नाम पर दंगे भी होते है लेकीन एक बात में सबके सब एक समान है ” भ्रष्टाचार एवं रिश्वत ” के मामले में, लेकीन सबकी श्रेणी अलग अलग है ‘ जितना बडा जूता होगा पोलिश भी अधिक लगेगी ‘ | एक कहावत है खरबुजे को देख कर खरबूजा अपना रंग बदल लेता है —–जब बात भ्रष्टाचार की हो या रिश्वत की हो देश -प्रदेश के सारे समाचार पत्र – टी वी चैनल रात दिन उसी समाचार से भरे रहते है — और रोज नये -नये घोटालो का खुलासा होता रहता है – इसी श्रेणी में दो दिन पहले बहुत बडे उद्धोगपती रतन टाटा ने राह्स्योदघाटन किया की 90 के दशक में किसी केंद्रीय मंत्री ने उनसे 15 करोड रुपये की रिश्वत विमान सेवा शुरू करने के लिये मांगी थी—- फिर खबर आई की योग गुरु बाबा राम देव से भी किसी उत्तराखंड सरकार के मंत्री ने दो करोड रुपये की रिश्वत मांगी थी किसी ट्रस्ट में सहायता करने के लिये – इससे तो ऐसा लगता है की हमारे देश में कोई भी व्यापार -उद्योग , ट्रस्ट शुरू करना हो तो बिना रिश्वत दिये सरकारी मान्यता नही मिल सकती | अब सबसे बडा सवाल यह है की क्या जो उद्योग – व्यापार , धार्मिक – न्यास , ट्रस्ट आदी स्थापित हो चुके हैं उन्होने भी रिश्वत दे कर मान्यता प्राप्त की थी | इसलिये और लोगो से तो नही केवल इन दो बडी हस्तियो से देश हित में और जन हित में यह अनुरोध है की यह लोग आगे आयें और अपने स्थापित हो चुके किसी भी व्यापार – संस्थानो के लिये अगर कोई रिश्वत अगर दी थी तो उसका खुलासा करे :

श्री रतन टाटा : इन्होने गरीब के सपने की छोटी कार “नैनो” के लिये देश के तीन स्थानो पर भूमी का अधिग्रहण किया एवं बडे- बडे कारखाने बनाये (१) पश्चिम बंगाल (२) उत्तरा-खंड (३) गुजरात, क्योंकी जिस प्रकार का वातावरण देश में है उसमे यह हो ही नही सकता की बिना रिश्वत के यह सब करना संभव हो सकता है इसलिये दी गई रिश्वत का खुलासा देश हित करना ही चाहिये अन्यथा लोग तो याही समझेंगे की जब किसी उद्धोगपती को मान्यता मिल जाती तब तो दी रिश्वत का कोई गम नही होता अन्यथा काम न होने पर हल्ला मचाने में क्या हर्ज अता रतन टाटा अपने को भारतीय मानते है तो उन्हे यह बताना चाहिये की अपना उद्धोग लगाने के लिये अब तक कितने लोगो को रिश्वत दी है ?

श्रध्ये बाबा राम देव : बाबाजी ने कहा है की उनसे भी किसी नेता ने न्यासो में मदद करने के लिये दो करोड रुपये की रिश्वत की मांग की थी ( साथ ही आचार्य बाल किशन जी ने आगे बढ कार यह भी कह दिया की वह व्यक्ती आज भी उत्तराखंड सरकार में मंत्री है ) क्योंकी श्रध्ये बाबा राम देव भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक मुहीम चला रहे है और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिये एक नेक काम कार रहे है तो उन्हे जनता को यह बताना ही होगा की वह कौन स व्यक्ती है जिसने दो करोड की मांग की थी – क्योंकी रिश्वत एक ऐसा कडवा सच है की ” इस हाथ ले उस हाथ दे ” बाबाजी द्वारा तीन ट्रस्ट अस्तित्व लायी गई है
(१) दिव्या योग पीठ मंदिर ट्रस्ट (२) पतंजली योग पीठ ट्रस्ट (३) भारत सावभिमान ट्रस्ट
इनमे से अगर केवल पतंजली योग पीठ ट्रस्ट की बात करे तो इसकी सदस्यता निम्न प्रकार से है
1- Corporate member 11,00,000/- 2-Founder member 5,00,000/- 3- Patron member 2,50,000/- 4- Life member 1,00,000/- 5- Dignified member 51,000/-
6-Respected member 21,000/- and 7- General Member 11,000/-
अब यह तो एक कटु सत्य है की कोई भी व्यक्ति अपनी आय का एक रुपया भी किसी को नहीं दे सकता अगर इतने बड़े -बड़े दान देगा तो उससे कोई फायदा भी अवश्य ही उठाएगा सारा का सारा खेल काली कमाई को सफ़ेद करने का खेल है , भारत में मान्यता प्राप्त ट्रस्ट को दान देने पर आयकर में धारा ८० जी के अंतर्गत टेक्स से छुट मिलती है यह खेल इसी लिए किया जाता है अन्यथा दानी लोग बिना नाम किये बाला जी, लाल बाग़ के देवता , साईं बाबा मंदिर में करोडो का दान देते है पर अपना नाम भी नहीं बताते ? अत: बाबा जी को यह अवश्य बताना चाहिए की जिन ट्रस्ट को मान्यता मिल चुकी है उनमे कितनी रिश्वत दी थी ?

इसलिए देश में भ्रम की स्तिथि पैदा करने वाले देश भक्त नहीं किसी देश द्रोही से कम नहीं हैं — क्योंकि जब रिश्वत देकर कोई काम हो जाता है तो उसकी चर्चा कोई नहीं करना चाहता पर जब काम नहीं होता या किसी दुसरे व्यक्ति का काम हो जाता है तो लोग भ्रष्टाचार का नाम लेते है और चिल्लाते है अन्यथा सब कार्य ख़ामोशी से चलते रहते है ?

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