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दिल्ली एक शहर –दो सरकारें –जनता बेहाल ?

पाठक नामा -
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दिल्ली जो भारत सरकार की राजधानी है ! जहाँ दुनिया के सभी देशों के नागरिक निवास करते है ! जहां दो सरकार अस्तित्त्व में हैं ! पूरी भारत सरकार दिल्ली मे रहती है स्वाभाविक है कि उनकी स्वास्थय और सुरक्षा का भी इंतजाम होगा बाकी सुविधाभोगियों के लिए प्राइवेट अस्पताल हैं ! लेकिन एक दूसरी दिल्ली है जिसकी अपनी सरकार भी है पर उसके पास अधिकार न के बराबर हैं ! प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी वर्षा ऋतु के अंत में बिमारियां फ़ैल रही जिसका प्रकोप दिल्ली में अधिक है ! दिल्ली की सरकार लाचार है दिल्ली में कुल मिलाकार 50 हजार बिस्तर है अस्पतालों में लेकिन गरीब जनता को भर्ती करने में।। आनाकानी की जाती है ! जिस कारण से डेंगू के मरीजो की मौत होनी शुरू हो चुकी हैं ? केंद्र की सरकार और दिल्ली की सरकार मौन व्रत पर हैं ?

प्रधानमंत्री मौन है ! दिल्ली के मुख्यमंत्री की समझ में कुछ आ नहीं रहा है ! बेचारे कहते है जल्द ही कानून बनाएंगे ! अब कानून बनाकर वे डेंगू को रोकेंगे यह मरीजो का इलाज करेंगे या फिर अस्पतालों की कार्य क्षमता या दक्षता बढ़ाएंगे ? या कानून का झुनझुना जनता को बहलाने का साधन होगा ?
केंद्र की सरकार का नारा है ” सब का साथ सब का विकास” राज्य सरकार तो है ही आम आदमी की सरकार तो फिर बेचारा आम आदमी। जाय किसके पास ! अब केवल एक सहारा बचता है भगवान ! वे भी सहायता करने के स्थान पर। निराश और दुखी आदमी को इस निष्ठुर संसार से मुक्ति देकर अपने पास ही बुला लेते है ?

एस पी सिँह ! मेरठ

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