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अभी कल उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में आई टी बी पी कि भारती प्रक्रिया शुरू हुई तो पूरे देश के बेरोजगार नौजवानों कि फ़ौज ही उमड़ गई जहाँ भर्ती तो कुछ सौ में होनी थी लेकिन लाखों कि संख्या में नौजवान उमड़ पड़े — यह आई टी बी पी के अधिकारियों की अदुर्दर्शिता का ही परिणाम है साथ ही शासन और प्रशासन के निकम्मेपन की पोल भी खोलता है —- जहाँ देश का भविष्य (नौजवान ) आया तो नौकरी मांगने के लिए लेकिन मिली उसे मौत अब उस परिवार का क्या होगा जिसकी सारी उम्मीदों का चिराग ही बुझ गया हो —- यह बात भी अपनी स्थान पर सही है की रेल की छत पर बैठ कर यात्रा करना अपराध है लेकिन सबसे बड़ा अपराधी तो रेल विभाग ही है जिसने रेल की छत पर बैठे लोंगों की अनदेखी की और परिणाम में बैठने वालों को मिली मौत —- क्या ममता दीदी बँगाल की चिंता छोड़ कर रेल पर भी ध्यान देंगी —- जब रेल विभाग में आर. पी. ऍफ़. / जी. आर. पी. जैसे सफ़ेद हाथियों की फ़ौज पल रही है तो वह अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं समझती — यह बात आज के राजनितिक नेताओं को साफ़ तौर पर समझ लेनी चाहिए की अगर वह अपने दायित्व को नहीं समझंगे और सब कुछ जनता पर ही छोड़ देंगे तो वह दिन दूर नहीं जब उन्हें भी अरब देश मिस्र की तरह जनता का कोपभाजन भी बनाना पड़ेगा ? अत: रेल विभाग को मरने वाले एवं घायलों को मुआवजे का एलान शीघ्र से शीघ्र करना चाहिए ? शायद यह बात हमारे आज के राजनितिक आकाओं ( राजनेताओं नहीं ) की समझ में आ ही नहीं सकती कि आज का पढ़ा-लिखा नौजवान देश और उसके कर्णधारों से क्या अपेक्षा करता है इस ओर से सभी शासन-प्रशासन में बैठे लोग आँख बंद करके केवल अपने बैंक के बैलेंस को बढाने और केवल अपने परिवार की बेहतरी की चिंता में व्यतीत कर रहें हैं उन्हें सामाजिक सरोकार की कोई चिंता नहीं है ? नहीं तो क्या कारण है कि जब कुछ खास क्षेत्रों जहाँ प्याज का उत्पादन होता है जब अधिक बारिश से फसल नष्ट हो गई थी तो सरकार का एक विभाग फिर भी खाड़ी देशों को प्याज का निर्यात निर्बाध रूप से लगातार करता रहा जब तक कि देश में हाहाकार नहीं मच क्या ? यह कैसी संवेदनहीनता है की जब सांप भाग जाता है तो शासन प्रशासन लाठी लेकर लकीर को पीटता है — इसी प्रकार एक विभाग दुसरे विभाग पर आरोप प्रत्यारोप लगा कर अपनी जिम्मेदारी से भागने का काम कर रहें है — भारत सरकार को चाहिए की इस कांड पर एक जाँच कराए और दोषियों को कड़ी सजा दे. ——–एस.पी.सिंह,मेरठ
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