Menu
blogid : 2445 postid : 945480

पिंजरे का तोता ?

पाठक नामा -
पाठक नामा -
  • 206 Posts
  • 722 Comments

अपने मित्र मुंशी इतवारी लाल जब नौकरी में थे यानि की सरकारी दफ्तर में बड़े बाबू थे ! तब वह बता रहे थे कि उनके पास जब कोई व्यक्ति अपना काम करवाने के लिए आता था तो। सबसे पहले तो वह उसका इतिहास भूगोल गहराई से समझ लेते थे उसके बाद उस व्यक्ति को यह बताते थे कि काम कितने समय में होगा ? होगा भी की नहीं होगा ? जब हम उनसे इस भेद भाव का कारण जानने की कोसिस करते थे तो वह बताते थे की यह तो बहुत आसान है ! उन्ही के शब्दों में “शो मी दी पर्सन आई विल शो दी रूल्स ” यानि की जैसा व्यक्ति सामने होगा उसको वैसा ही क़ानून दिखाया जायगा और उसी कानून के अनुसार उसका समाधान भी किया जायगा । यूँ तो भारत सरकार के सैंकड़ो विभाग है और उन विभागों के भी बहुत से खंड है लेकिन सरकार के दो अति महत्वपूर्ण विभाग है या यूँ कहे की दो गण है एक आँख तो दूसरा कान एक राहु दूसरा केतु. राहु है आयकर विभाग अर्थात इनकम टेक्स तथा दूर केतु यानि की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो अर्थात सी बी आई जब जिसको भी आइना दिखाना हो तुरंत दोनों विभाग सक्रिय हो जाते है और फिर आरम्भ होता है असल खेल ?

अभी हम बहुत पीछे न जाकर केंद्रीय राजग सरकार की ही बात करते है पश्चिम बंगाल में एक चिटफंड घोटाला हुआ जिसकी आंच वहां की मुख्या मंत्री तक भी पहुँच गई वर्षी से बांग्ला देश के साथ लटका पड़ा सीमा विवाद मिंटो में निबट गया ? हुआ यूँ कि जब तृण मूल कांग्रेस के मंत्री और एम पी भी शरधा चिट फण्ड घोटाले में सी बी आई द्वारा गिरफ्तार होने लगे तो स्वाभाविक रूप से मुख्य मंत्री तक आंच पहुँच चुकी थी फिर हुई परदे के पीछे कि सियासत और अपने अपने तीखे तेवरों की पहचान वाली मुख्य मंत्री एक सीधी साधी गौ माता के समान व्यहार करने लगी और बांग्ला देश के साथ सीमा समझोता संपन्न सो सका जो की पिछली सरकार के समय में संभव नहीं हो सका था इतना ही नहीं स्वयं मुख्य मंत्री भी उस समझोतेसंपन्न करेंगे के लिए स्वयं बांग्ला देश की यात्रा पर गई. / वैसे इस समझौतों को संपन्न होने में आयकर विभाग तथा सी बी आई के रोल को नकारा नहीं जा सकता इन दोनों विभागों का भी महती रोल है ?

यह कौन नहीं जनता की तमिल नाडु की मुख्य मंत्री , उत्तर प्रदेश के पूर्व मख्यमंत्री मुलायम सिंह और माया वती वर्षो आय से अधिक संपत्ति के केस में वर्षो से झटके पर झटके सहने पर मजबूर हैं. ] . इन दोनों विभागों की दुधारी तलवार पर कोई भी व्यक्ति नेता दल संस्था कत्थक करने को मजबूर हो जाता है .\ एक ताजा केस है नोएडा की एक तेरह वर्षीया लड़की आरुषि और उसके नौकर हेमराज का क़त्ल / चूँकि मामला हाई प्रोफाइल था इस कारण जांच सी बी आई को सौंपी गई रिजल्ट वही ढाक के तीन पात वाला रहा \ सी बी आई ने बहुत खोज बीन की नौकरों और पडोसी के नौकरों तक जांच हुई और फिर एक दिन ऐसा आया की सीबीआई ने जांच बंद कर दी और सीबीआई कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी लेकिन विद्वान न्यायाधीश ने फटकार लगते हुए दोबारा जाँच करने को कहा / उसके बाद सी बी आई ने आरुषि के माता पिता को ही आरोपी बना कर चार्ज शीट दाखिल कर दी. क्योंकि मुकदद्मा अभी विचाराधीन है इस लिए कोई टिप्पणी करना उन्चित नहीं है ?

ऐसा ही एक केस है आयकर विभाग से सम्बंधित जहां बोगस रिफंड के क्लेम लगभग ६० लोगों ने किये लेकिन अपराधी बनाये गए दो व्यक्ति एक अधिकारी और उसका एक क्लर्क / जिन ६० लोगों ने बोगस रिफंड क्लैम लिया उनको क्लीन चिट सीबीआई ने देदी .परन्तु उनके वकीलों को भी दोषी बना दिया यह मुकदद्मा भी अभी चल रहा है / इस लिए सीबीआई की विश्वसनीयता बस इतनी सी है की उसके ऊपर कोई विभाग नहीं है जो उसकी निगरानी कर सके इस लिए ऐसा ही अन्धो में काने सरदार ? इस लिए अगर कोई समझता है कि व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई के हाथ में आने के बाद उसका सही सही पर्दा फाश हो सकेगा वह भविष्य के गर्भ में है और मालूम तभी चलेगा जब गर्भ में से क्या निकलता है लड़का या लड़की कौन जाने ?

लेकिन यह सत्य है कि तोता पूर्ण रूप से पिंजरे में ही है और पिंजरे में रहने से उसे कोई एतराज भी नहीं है जैसा विगत में सीबीआई के कई प्रमुख समय समय पर ऐसा ब्यान भी देते रहे है की सीबीआई को पूर्ण सवतंत्रता की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सवतंत्र होने पर सारा दायित्व अपने ऊपर ही रहता है और अगर सरकारी संरक्षण रहेगा तो उसका मालिक ही उसकी रक्षा भी करेगा और खाने पीने का प्रबंध भी मालिक ही करेगा ? जैसा की पिछले सीबीआई प्रमुख के साथ हुआ की वह उन्ही अपराधियों से मिलते रहे जिनके खिलाफ उनका विभाग जांच कर रहा था ? अब यह सब जानते है की जब आपके किसी से भी आत्मीय सम्बन्ध होते है तो आप चाहकर भी उस व्यक्ति के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते अगर कुछ भला भी नहीं करेंगे तो कम से कम उसे सतर्क/सावधान तो अवश्य ही कर देंगे और अपराधी के लिए इतना ही काफी होता है ?

तोते के पिंजरे में रहने की बात को समझने वालो के लिए इतना ही काफी है की अभी अभी समाचार मिला है की सीबीआई ने कोर्ट में यह एप्लीकेशन लगाईं है की जिन केसो में अब तक की जांच पूरी हो गई है उन केसो में एस टी ऍफ़ को चार्ज सीट दाखिल करने की परमिशन दी जाय और सूत्रों का यह भी कहना है कि सीबीआई भी एस टी ऍफ़ से सहायता लेगी ? इस लिए हम तो यह समझते हैं की सब अपवादों के होते हुए भी हम तो यह समझते है कि अब देश हित के मामले में सीबीआई को भी अपने ऊपर लगे धब्बों को धोकर एक नया कीर्तिमान स्थापित करने के साथ साथ भारत के १२५ करोड़ की जनता के हृदय में भी अपना सर्वोच्च स्थान बनाने की दिशा में उचित कदम उठाएगी दूध का दूध और पानी का पानी अलग कर देना चाहिए ? अगर व्यापम घोटाले में भी सीबीआई का चाल चलन पहले जैसा ही रहा तो निश्चित ही है कि आगे आने वाले समय में उसको पूछने वाला मुस्किल से ही मिलेगा \

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh