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“बहती गंगा में सभी का हाथ धोना जायज है”

पाठक नामा -
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एक कहावत है ” बहती गंगा में हाथ धोना ” लगता है भारत वास्तव में ही एक विकास शील देश की श्रेणी में आ गया है जैसा की अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अभी हाल की अपनी भारत यात्रा की दौरान संसद में कहा था, परन्तु हमें तो लगता है की विकाश के साथ साथ भ्रष्ठाचार का भी विस्तार हो गया है अब चाहे वह “मुंबई की आदर्श हाऊसिंग सोसाइटी” की बन्दर बाँट हो या ” राष्ट्र मंडल खेल ” का खेल हो या शराब माफिया द्वारा “उत्तर प्रदेश के 16 पश्चिमी जिलों में 20 करोड़ रूपये प्रतिदिन की अवैध वसूली ” हो दैनिक जागरण में एक समाचार के अनुसार —- उत्तर प्रदेश की 16 जनपदों में ” रोजाना 20 करोड़ की अवैध वसूली ” प्रदेश में एक अप्रेल 2009 से लागू शराब नीति के अंतर्गत वेस्ट उत्तर प्रदेश में के 16 जिलों में उत्तर प्रदेश शुगर फैडरेशन के नाम पर ठेका छोड़ा गया , जिसमे – मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, बिजनौर, बागपत, बुलंदशहर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली , पीलीभीत , बदायूं, शाहजहांपुर, नोएडा, जेपी नगर ,आदि जिले शामिल है, जबसे इस निजी कंपनी को ठेका मिला है मानो अवैध वसूली का प्रमाण पत्र ही मिल गया हो, इन जनपदों में शराब का ऐसा कोई ठेका नहीं है जहाँ पर शराब की प्रत्येक बोतल पर अंकित कीमत ( एम्.आर.पी.) पर 15 से 20 प्रतिशत अधिक कीमत वसूली न की जा रही हो | अकेले मेरठ जिले में ही 204 दुकाने 28 माडल शाप एवं 12 बार अलग से हैं जहाँ औसतन 17 करोड़ रूपये रोजाना की बिक्री होती है इस प्रकार से लगभग 1 .60 करोड़ रूपये रोज की अवैध वसूली धड़ल्ले से हो रही है | इस प्रकार से 16 जिलों में औसतन रोजाना 245 करोड़ की शराब बेचीं जाती है (जिसमे औसतन बीस करोड़ रूपये की अवैध वसूली भी शामिल है ) अगर सरकारी अधिकारियों की बात की जाय तो वह यह कर पीछा छुड़ा लेते है की अगर कोई शिकयत होगी तो कार्यवाही करेंगे | गरीब व्यक्ति के लिए शराब पीना तो वैसे ही एक सामाजिक बुराई है पर संपन्न लोग भी बीस पचास रूपये अधिक पेमेंट कर के शराब खरीदने में कोई बुराई नहीं समझते , शायद इसी लिए उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी ठेकेदारों को खुली छुट देकर अपना हिस्सा भी इस लूट में सु-निशित कर लिया है क्योंकि ठेके पर बैठे सेल्स मैंन भी यही कहते है की कहीं भी शिकायत कर लो हम तो एम् आर पी से अधिक पैसे लेंगे | चूँकि यह एक प्रशासनिक एवं कानूनी बाध्यता है जिसमे केंद्रीय कानून के तहत प्रत्येक पैक सामान पर उसकी अधिकतम खुदरा मूल्य (टेक्स सहित ) अंकित किया जाना अनिवार्य है और अंकित मूल्य से अधिक कीमत वसूलना कानूनी अपराध के श्रेणी में आता है तो फिर उत्तर प्रदेश में यह खुली लूट क्योंकर हो रही है | क्या केंद्र में बैठी सरकार इस ओर ध्यान देगी इस अवैध वसूली को बंद करने के लिए – क्योंकि इस अवैध वसूली में कहीं न कहीं सरकार की मिली भगत नजर आ रही है ? लगता है बहती गंगा में सभी का हाथ धोना जायज है ?

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