Menu
blogid : 2445 postid : 74

मुंशी इतवारी लाल और लोक तंत्र के प्रहरी

पाठक नामा -
पाठक नामा -
  • 206 Posts
  • 722 Comments

यह तो हमारे प्यारे मुंशी, इतवारी लाल की ही अदा है की वह बिना गरजे ही बरस जाते है और जो गरज के बरसे वह तो मुंशी इतवारी लाल हो ही नहीं सकते, ऐसा ही हुआ गए रविवार को मुंशी जी भागते भूत की तरह आये और लंगोटी (अर्थात एक थैला ) थमा कर उलटे पावँ वापस भी जाने लगे तो हमने उनसे कहा —-” यार ! मुंशी जी ये क्या है कुछ तो बताओ तुमने तो भूत वाली कहावत ही चरितार्थ ही कर दी इस लंगोटी में क्या है” ?

मुंशी जी बोले : “भाई ये कुछ अखबार की कटिंग है मुझे कुछ अधिक समझ में नहीं आई तो मै लायब्रेरी के अखबार में से ही कटिंग कर लाया हूँ तुम जरा इसका वास्तविक मतलब बताओ तो जाने “?

हमने कहा —“यार मुंशी जी कुछ देर हमारे पास भी बैठो तथा हमारा भी ज्ञान वर्धन करो तो आपकी कृपा होगी”

मुंशी जी बोले तो सुनो :——- “चूँकि यह राजनिति है और राजनिति में सब कुछ चलता कोई कितना ही बड़ा अपराधी क्यों न हो राजनिति में वह जब तक अपराधी नहीं है जब तक उसे किसी कोर्ट द्वारा सजा न हो जाय —- यहाँ यह बात ध्यान देने की है कि हमारे इस पवित्र लोकतंत्र को कुछ महान नेताओं ने राजनिति के नाम पर इतना कलंकित किया है कि इस राजनिति शब्द से इतनी तीखी ..गंध आती है कि कहीं बहुत दूर भाग जाय —– वैसे यह एक बहस का विषय भी हो सकता है कि लोकतंत्र में राजतन्त्र का क्या काम क्योंकि लोकतंत्र में कोई भी चुना हुआ व्यक्ति तब तक ही शासन का संचलान कर सकता है जब तक उसे जनता का विश्वाश प्राप्त हो अन्यथा नहीं ? — दूसरी ओर राजतन्त्र में जब तक राजा कि तलवार में ताकत हो तभी तक राज कर सकता है —— ठाकुर कुछ समझ में आया की नहीं ”

इतना कह कर मुंशी जी फिर बोले — ” अब यह तुम्हारा और तुम्हारे जैसे बुद्धिजीवी लोगों का काम कि इस गंदगी से कब और कैसे छुटकारा पाते हो हमारा क्या हम तो रिटायर्ड आदमी हैं कल का क्या भरोसा कल हो न हो”

हमने वह पोटली खोल कर देखी तो वास्तव में ही कुछ अखबार और एक कटिंग हिंदी हिंदुस्तान अखबार की थी जिसमे एक चार्ट बना था और वर्तमान लोक-सभा में विभिन्न राजनितिक दलों की संख्या लिखी थी तथा और भी बहुत सी दुर्लभ जानकारियां थी | अब अधिक तो हम भी कुछ नहीं समझ सके क्योंकि उससे अधिक तो प्रतिदिन ही अखबारों में छपता रहता ही है लेकिन इस कटिंग के तथ्य आप भी देखिये:–
————————————————————————————————————————————————-
१० बड़ी पार्टियों के संसद सदस्यों की स्तिथि दागी एवं दबंग छवि वाले सहित ——————
————————————————————————————————————————————————–
१. भारतीय जनता पार्टी कुल एमपी– ११६, दागी छवि वाले –४४, संगीन जुर्म में लिप्त -१९, प्रतिशत ३८ %
२, कांग्रेस पार्टी कुल एमपी– २०७, दागी छवि वाले– ४४, संगीन जुर्म में लिप्त-१३, प्रतिशत २१%
३, समाजवादी पार्टी कुल एमपी– २३, दागी छवि वाले– ९. संगीन जुर्म में लिप्त – ७, प्रतिशत ३९%
४. शिवसेना पार्टी कुल एमपी– ११, दागी छवि वाले– ९, संगीन जुर्म में लिप्त – ३, प्रतिशत ८१%
५. जे.डी,यु पार्टी कुल एमपी– २०, दागी छवि वाले– ८, संगीन जुर्म में लिप्त -३, प्रतिशत ४०%
६. बी.एस.पी.पार्टी कुल एमपी– २१, दागी छवि वाले — ६, संगीन जुर्म में लिप्त –६ प्रतिशत २८%
७. बीजद पार्टी कुल एमपी– १४, दागी छवि वाले — ४, संगीन जुर्म में लिप्त – १ प्रतिशत २८%
८. तृणमूल कांग्रेस कुल एमपी — १९, दागी छवि वाले — ४, संगीन जुर्म में लिप्त — ४, प्रतिशत २१%
९. रा.कां.पार्टी कुल एमपी — ९, दागी छवि वाले — ४, संगीन जुर्म में लिप्त – ३, प्रतिशत ४४%
१०. द्रुमुक कुल एमपी — १८, दागी छवि वाले – ४, संगीन जुर्म में लिप्त – १, प्रतिशत २२%
—————————————————————————————————————————————————
विभिन्न पार्टियों के १० बड़े दबंग नेता :
—————————————————————————————————————————————————
१.श्री जगदीश शर्मा, जहानाबाद, बिहार , जदयू
२.श्री बाल कुमार पटेल , मिर्जापुर -उत्तर प्रदेश, समाजवादी पार्टी
३.श्री प्रभातसिंह प्रतापसिंह चौहान , पञ्च महल,- गुजरात, भाजपा
४.श्री कपिल मुनि करवरिया, फूलपुर- उत्तरप्रदेश, बीएसपी
५.श्री पी.करुणाकरण, कसाडगोड-केरल, माकपा
६. श्री लालू प्रसाद यादव, सारण-बिहार, राजद
७. श्री कुवरजीभाई मोहनभाई बावलिय, राजकोट-गुजरात, कांग्रेस
८. विट्ठलभाई हंसराजभाई राडाडिया, पोरबंदर-गुजरात, कांग्रेस
९. श्री फिरोज वरुण गाँधी, पीलीभीत-उत्तरप्रदेश, भाजपा
१०.श्री चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल, नवसारी-गुजरात, भाजपा
————————————————————————————————————————————————-
अब अगर इस चार्ट को देख कर कुछ बात की जाय तो सब ओर से यही आवाज आएगी की अब इस हमाम में कपडे पहन कर आना मनाह है लेकिन जनता जिसके पास न खाने को है और न पहनने को है – दबी-पीसी हुई है वह तो कुछ भी नहीं कर सकती एक ओर महंगाई दूसरी ओर बेकारी तीसरी बच्चों की पढ़ाई कहाँ जाय क्या करे ? पर एक स्टुपिड कामन मैन ( एक बेचारा माध्यम वर्गीय आदमी ) न तो रो सकता है और न ही विरोध कर सकता है कारण कुछ भी हो सकता है| बाकी सब मजे में हैं ? क्या इन आंकड़ो को देख कर कोई यकीन कर सकता है की हमारे लोंक तंत्र के पवित्र मंदिर में कैसे कैसे पुजारी शोभायमान हैं \

हाँ एक बात जो सबसे अहम् है कि जो पक्ष सत्ता में है और दूसरा विपक्ष में जब दोनों ही पक्षों में एक सी समानता है तो क्यों न गरीब-दलित पिछड़े-बेरोजगार लोगो पर दया करके आपस में समझौता क्योंकर नहीं कर लेते कि पाँच-पाँच साल के लिए बारी बारी से सत्ता का सुख भोगें और जनता को भी सुखी रहने दे. —– प्रतिदिन के हंगामे – प्रदर्शन , संसद को जाम करना आदि ड्रामे को बंद करदें ? अन्यथा मौसेरे भाइयों की तरह इस देश जिसका नाम भारत है को मिल बैठ कर आपस में भात की भांति बाँट ले और जितना लूट सकते है या लुटवा सकते हैं लूट ले और रोज रोज के ड्रामे बंद कर दें !!!!!!!!!!!! एस.पी.सिंह,मेरठ

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh